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विकलांगों को तीन फीसद आरक्षण दें केंद्र-राज्य

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सहित सभी राज्यों को सरकारी नौकरियों में विकलांगों को तीन फीसद आरक्षण सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पी. सतशिवम की पीठ ने स्पष्ट किया कि विकलांगों को आरक्षण देते समय 50 फीसद से अधिक आरक्षण नहीं होने का सिद्धांत लागू नहीं होगा।

By Edited By: Published: Tue, 08 Oct 2013 07:18 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2013 11:50 PM (IST)
विकलांगों को तीन फीसद आरक्षण दें केंद्र-राज्य

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सहित सभी राज्यों को सरकारी नौकरियों में विकलांगों को तीन फीसद आरक्षण सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पी. सतशिवम की पीठ ने स्पष्ट किया कि विकलांगों को आरक्षण देते समय 50 फीसद से अधिक आरक्षण नहीं होने का सिद्धांत लागू नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने विकलांगों को आरक्षण का फैसला तीन महीने के भीतर लागू करने का आदेश दिया है।

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शीर्ष अदालत का यह आदेश सभी सरकारी विभागों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और सरकारी संस्थाओं पर लागू होगा। शीर्ष अदालत ने केंद्र व सभी राज्य सरकारों को सभी विभागों में रिक्तियों का ब्योरा जुटाने का निर्देश दिया। साथ ही विकलांगों के लिए पदों की पहचान कर बिना किसी खामी के तीन माह में आदेश लागू करने को कहा है। पीठ ने कहा कि यह चौंकाने वाली हकीकत है कि विकलांगों को विभिन्न सामाजिक अवरोधों की वजह से रोजगार नहीं मिल पा रहा हैं, जिसके चलते वह गरीबी में और उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं। उन्हें अपने और परिजनों व समाज में योगदान के अधिकार से भी वंचित रखा जा रहा है। विकलांगों के अधिकारों की रक्षा करना सरकार का दायित्व है। पीठ ने कहा कि विकलांगों के सशक्तिकरण में रोजगार को अहम बताया। पीठ ने विभिन्न अक्षमताओं वाले विकलांगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के बारे में दिशा-निर्देश भी जारी किए।

गैरसरकारी संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की ओर से पेश दृष्टि दोष से पीड़ित वरिष्ठ अधिवक्ता एसके रूंगटा ने सुप्रीम कोर्ट से विकलांग (बराबरी के अवसर, अधिकारों का संरक्षण व योगदान) अधिनियम, 1995 की धारा-33 को लागू करने का आग्रह करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र व राज्य सरकारें नेत्रहीन व कम दृश्यता वाले लोगों को आरक्षण देने में नाकाम रही हैं। केंद्र सरकार ने गैरसरकारी संगठन की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट के विभिन्न निर्देशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता की भी प्रशंसा की।

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