कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तानी पठानों का डीएनए एक: रिसर्च
प्राचीन डीएनए के आधार पर हुई रिसर्च ने भारतीय इतिहास की उस बात को खारिज कर दिया है, जिसमें आर्यों के भारत में आने से मानव सभ्यता का विकास माना गया है। डीएनए जांच में इस बात के कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिले हैं।
बरेली [नवनीत मिश्र]। प्राचीन डीएनए के आधार पर हुई रिसर्च ने भारतीय इतिहास की उस बात को खारिज कर दिया है, जिसमें आर्यों के भारत में आने से मानव सभ्यता का विकास माना गया है। डीएनए जांच में इस बात के कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिले हैं। बल्कि यह पता चला है कि 1.60 लाख साल पहले ईस्ट अफ्रीका में पैदा हुई मानव जाति ही निकलकर भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में पहुंची।
अपने रिसर्च के आधार पर देश के प्रख्यात डीएनए वैज्ञानिक और भारत में डीएनए फिंगर प्रिंटिंग के जनक डॉ. लालजी सिंह ने वैज्ञानिक आधार पर नए सिरे से देश का इतिहास लिखे जाने की वकालत की है। बोले, ईस्ट अफ्रीका सहित सिंध प्रांत में दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता मोहनजोदड़ो काल की खोदाई से मिली हड्डियों के डीएनए की जांच से यह बात सामने आई है।
इन्वर्टिस विश्वविद्यालय में सेमिनार में भाग लेने आए मशहूर वैज्ञानिक ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में प्राचीन डीएनए जांच से धरती पर मानव सभ्यता के उद्भव व विकास पर हुई रिसर्च की जानकारी दी। डॉ. लालजी सिंह बोले कि जब डार्विन ने आदमी की तुलना चिंपैंजी से की थी तो उनको आलोचना में गालियां तक मिलीं।
उनके मरने के बाद जब चिंपैंजी और मानव के जीन का तुलनात्मक अध्ययन हुआ तो दोनों में 99 फीसद समानता मिली। मोहनजोदड़ो दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में खोदाई के दौरान मिली उस काल की हड्डियों के प्राचीन डीएनए लेकर कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तानी पठानों के रक्त के नमूने मैच कराए गए तो समानता मिली।
इसके अलावा इन लोगों के नमूने से यूरोपियन लोगों के डीएनए भी एक हद तक समान मिले हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि पूरी पृथ्वी पर एक ही जगह से मानव जाति की उत्पत्ति हुई।
ईस्ट अफ्रीका में प्राचीन डीएनए की जांच से पता चला कि वहां पर एक लाख 60 हजार साल पहले मानव का विकास हुआ। इसके बाद भारत में करीब 70 हजार साल पहले मानव जाति अस्तित्व में आई। जबकि यूरोप में मानव 40 हजार साल पहले पैदा हुए।
आर्यों के आने की बात गलत
डॉ. लालजी सिंह कहते हैं कि वैज्ञानिक आधार पर इतिहास लिखा जाना चाहिए। एक तो भारत का अधिकांश इतिहास विदेशियों ने लिखा जो थोड़ा बहुत भारत में लिखा भी गया तो उसमें प्रमाणिकता की कमी रही। जैसा कि भारतीय इतिहास में बताया जाता है कि आर्यों के आने के बाद से भारत में मानव जाति का विकास हुआ। यह प्राचीन डीएनए ने गलत साबित किया। ईस्ट अफ्रीका में 1.60 लाख पहले मानव जाति विकसित हुई।
जियोलॉजिकल स्टडी के मुताबिक भयंकर सूखा पडऩे के कारण ईस्ट अफ्रीका से 70 हजार साल पहले अधिकांश मानव जाति निकलकर उत्तरी के रास्ते से दक्षिणी के समुद्री तट होकर भारत में पहुंची। इसके बाद एशिया सहित अन्य देशों में मानव जाति विकसित हुई। डॉ. सिंह कहते हैं कि अब समय आ गया है कि वैज्ञानिक और इतिहासकार मिलकर देश का इतिहास लिखें। ताकि वह प्रामाणिक रहे।