सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट, आधे ट्रक ड्राइवरों की आंखें कमजोर
एनएचएआइ ने पिछले दिनो विभिन्न राजमार्गाें के टोल प्लाजाओं पर ट्रक ड्राइवरों के लिए तीन दिवसीय मुफ्त नेत्र जांच शिविरों का आयोजन किया था।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राजमार्गों पर चलने वाले आधे ट्रक ड्राइवरों की आंखें खराब हैं। एनएचएआइ की ओर से राजमार्गो पर आयोजित नेत्र जांच शिविरों में ये तथ्य उभरकर सामने आया है।
एनएचएआइ ने पिछले दिनों विभिन्न राजमार्गाें के टोल प्लाजाओं पर ट्रक ड्राइवरों के लिए तीन दिवसीय मुफ्त नेत्र जांच शिविरों का आयोजन किया था। इसके तहत 6000 से ज्यादा ड्राइवरों की आंखों की जांच की गई। इसमें 3000 से ज्यादा ड्राइवरों की आंखों में दूर या निकट दृष्टि की समस्या पाई गई। इनमें से 1000 ड्राइवरों की आंख का नंबर 2 प्लस से अधिक पाया गया। अर्थात चश्मे के बगैर इनकी दूर दृष्टि ड्राइविंग के लिए एकदम अनुपयुक्त थी। इसके बावजूद ये बिना चश्मे के ड्राइविंग कर रहे थे। जांच के बाद उन्हें नंबर के आधार पर उपयुक्त चश्मे प्रदान किए गए।
ड्राइवरों से होने वाले हादसों में कमी लाने के लिए एनएचएआइ की ओर से इस तरह के नेत्र शिविरों के आयोजन का निर्णय लिया गया है। और प्रत्येक शिविर में सामान्यतया 1.75 से लेकर 2.5 पावर तक के चश्मे रखे जाते हैं।
भारत अकेला देश है जहां पचास वर्ष से कम उम्र पर बिना आंखों की जांच प्रमाणपत्र के ड्राइविंग लाइसेंस दे दिया जाता है। केवल पचास वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए नेत्र जांच प्रमाणपत्र आवश्यक है। इससे कम उम्र पर केवल सामान्य चिकित्सा जांच प्रमाणपत्र लगाना होता है। इसके अलावा ज्यादातर ड्राइविंग लाइसेंस बिना समुचित ड्राइविंग टेस्ट के जारी कर दिए जाते हैं। मोटर वाहन (संशोधन) बिल में पहली बार इस खामी को दूर करने के कुछ प्रयास किया गया है।
ज्यादातर ट्रक ड्राइवरों की आंखें जरूरत से ज्यादा घंटे ड्यूटी करने और लगातार ट्रक चलाने तथा जागने के लिए शराब व अन्य नशीले पदार्थो का सेवन करने के कारण खराब होती हैं।
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