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रेडियो मंत्रा सुन पहुंच गई रक्तदान करने

मथुरा। आगरा से गुडगांव की ओर रफ्तार भर रही कार अचानक धीमी हुई। इसके बाद मुड़ गई मथुरा जिला अस्पताल की ओर। यहां रक्तदान कर विश्व रक्तदान दिवस की सार्थकता में जान फूंक कर जिंदगी का तराना गुनगुनाती युवती ने फिर गुडगांव की ओर रफ्तार भर दी। शुक्रवार को विश्व रक्तदान दिवस था। मथुरा जिला अस्पताल की ब्लड बैंक में उन

By Edited By: Published: Sat, 15 Jun 2013 04:32 AM (IST)Updated: Sat, 15 Jun 2013 08:22 AM (IST)

मथुरा। आगरा से गुडगांव की ओर रफ्तार भर रही कार अचानक धीमी हुई। इसके बाद मुड़ गई मथुरा जिला अस्पताल की ओर। यहां रक्तदान कर विश्व रक्तदान दिवस की सार्थकता में जान फूंक कर जिंदगी का तराना गुनगुनाती युवती ने फिर गुडगांव की ओर रफ्तार भर दी।

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शुक्रवार को विश्व रक्तदान दिवस था। मथुरा जिला अस्पताल की ब्लड बैंक में उन रक्तदाताओं की भी भीड़ थी, जो हर साल फोटोग्राफर के साथ यहां जरूर पहुंचते हैं। इसी बीच ब्लड बैंक के बाहर दोपहर में एक कार आकर रुकी। इसमें से एक युवती उतरी। वहां उसने बताया कि उसे रक्तदान करना है। सामान्य औपचारिकताएं पूरी करने के दौरान जब उसने फॉर्म में आगरा का पता लिखा तो स्टाफ को जिज्ञासा हुई। आखिर आगरा की युवती यहां रक्तदान करने क्यों आई है? जवाब सुन कर वहां मौजूद हर शख्स के चेहरे पर एक सवाल सा उभरा कि यहां कैसे?

दरअसल, ये युवती गुडगांव के सोहना रोड निवासी 19 वर्षीया संचिता सिंह थीं। शुक्रवार सुबह वह आगरा के सिकंदरा स्थित अरविंदपुरम में अपनी नानी के घर से गुडगांव के लिए निकलीं।

उनकी कार में एफएम चैनल रेडियो मंत्रा चल रहा था। एफएम पर आरजे [रेडियो जॉकी] इंटरनेशनल ब्लड डोनेशन डे पर चर्चा कर रहे थे। संचिता ने बताया कि आरजे बता रहे थे कि एक बार रक्तदान करने से चार लोगों की जान बचाई जा सकती है। रक्तदान करने से किसी भी प्रकार की कमजोरी महसूस नहीं होती और ना ही शारीरिक को कोई नुकसान होता है। आरजे आपस में चर्चा कर ही रहे थे, यह बात उनके दिल को छू गई। उन्होंने तुरंत रक्तदान करने का निर्णय लिया।

संचिता ने बताया कि पहले वह रक्तदान को लेकर इतनी गंभीर नहीं थीं, लेकिन एफएम पर इस बारे में सुनकर उनसे रहा नहीं गया। रक्त दान करने से पहले डर लगा रहा था कि पता नहीं क्या होगा, लेकिन रक्तदान के बाद वह एकदम तरोताजा महसूस कर रही हैं।

हमेशा याद रहेगा ये पहला रक्तदान :

संचिता एमबीबीएस की तैयारी कर रही हैं और मथुरा में कोचिंग करती हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता उत्ताम सिंह एक्स सर्विसमैन हैं, जो रक्तदान करते रहते हैं। अब रक्तदान करने के बाद वह खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। उनका मानना है कि रक्तदान करना वाकई अच्छा काम है। इससे किसी जरूरतमंद की मदद कर सकते हैं और उसकी जान बचाई जा सकती है। उनका कहना है कि पहली बार किया गया ये रक्तदान हमेशा याद रहेगा।

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