अंबेडकर को देर से भारत रत्न पर रविशंकर ने उठाए सवाल
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बाबा साहेब अंबेडकर समेत अनेक महापुरुषों को विलंब से भारत रत्न प्रदान करने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। वहीं एनजेएसी के मु्द्दे पर सुप्रीम कोर्ट को भी याद दिलाया कि लोकतंत्र में जनमत का सम्मान होना चाहिए।
नई दिल्ली। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बाबा साहेब अंबेडकर समेत अनेक महापुरुषों को विलंब से भारत रत्न प्रदान करने के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। वहीं एनजेएसी के मु्द्दे पर सुप्रीम कोर्ट को भी याद दिलाया कि लोकतंत्र में जनमत का सम्मान होना चाहिए।
राज्यसभा में बाबा साहेब अंबेडकर की 125वीं जयंती पर संविधान के प्रति निष्ठा के लिए आयोजित चर्चा में भाग लेते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भेदभाव का सामना करने के बावजूद अंबेडकर ने संविधान पर उसकी छाया नहीं पड़ने दी। इसके बावजूद न केवल उन्हें, बल्कि सरदार पटेल, अबुल कलाम आजाद और जयप्रकाश नारायण जैसे महान नेताओं को भारत रत्न देने में विलंब किया गया।
संविधान निर्माण में अतुलनीय योगदान के बावजूद डा. अंबेडकर को भारत रत्न देने में 34 साल लग गए। उन्हें 1990 में भारत रत्न दिया गया। इसी तरह पटेल ने तमाम रियासतों को मिलाकर एक किया। जबकि एक अन्य व्यक्ति ने मात्र एक रियासत की जिम्मेदारी ली लेकिन वह अभी तक समस्याग्रस्त है। इसके बावजूद पटेल को 1991 में भारत रत्न मिला।
मौलाना आजाद को मैं जितना पढ़ता हूं उनके प्रति इज्जत बढ़ती है। परंतु उन्हें भी 1992 में भारत रत्न दिया जा सका। लोकनायक जयप्रकाश नारायण को 1999 में हमने भारत रत्न दिया।
सेक्यूलरिज्म या पंथनिरपेक्षता के सवाल पर प्रसाद का कहना था कि राज्य का कोई पंथ नहीं होना चाहिए। इसका मतलब सभी आस्थाओं को बराबर सम्मान देने से है। मूल संविधान में भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध, अकबर आदि के चित्रों के जरिए इसे अत्यंत खूबसूरती के साथ परिलक्षित किया गया है।
भारत का सेक्यूलरिज्म किसी धर्म के खिलाफ नहीं। पटना की रैली में जब बम फूटे और अनेक लोग मरे व घायल हुए थे तभी नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हमें हिंदू मुसलमान से नहीं गरीबी से लड़ाई लड़नी है। जबकि प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने इमरान व जावेद की बात की।
इसलिए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी व पूर्व से लेकर पश्चिम तक भारत जितना हिंदुओं का है उतना ही मुसलमानो का। एक शक्तिशाली व आशावादी भारत का निर्माण ही अंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
रविशंकर ने कहा कि लोकतंत्र का चलन है कि जो जीते उसका सम्मान करना चाहिए। लेकिन जजों की नियुक्ति के मसले पर जिस तरह चुने हुए प्रतिनिधियों की उपेक्षा हुई वह दुखद है। सुप्रीमकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। परंतु सोचना होगा कि आखिर अब सिन्हा, शास्त्री, गडकर, घोष जैसे जैसे जज क्यों नहीं आते। हम किसी की कृपा पर शासन नहीं कर रहे। जनता ने हमें चुना है।