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राजनीति के मंजे खिलाड़ी हैं रशीद मसूद

सीबीआइ कोर्ट द्वारा चार साल की सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता काजी रशीद मसूद के करीब छह दशक के राजनीतिक जीवन खतरे में पड़ गया है। हालांकि रशीद मसूद के नाम पर इससे पहले कभी दाग नहीं लगा।

By Edited By: Published: Wed, 02 Oct 2013 11:08 AM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2013 11:18 AM (IST)

सहारनपुर, अवनींद्र कमल। सीबीआइ कोर्ट द्वारा चार साल की सजा सुनाए जाने के बाद कांग्रेस के कद्दावर नेता काजी रशीद मसूद के करीब छह दशक के राजनीतिक जीवन खतरे में पड़ गया है। हालांकि रशीद मसूद के नाम पर इससे पहले कभी दाग नहीं लगा।

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राजनीति की रपटीली राहों में काजी ने अपने धुर विरोधियों को कई बार धूल चटाई और दिल्ली की राह आसान की। लेकिन जीवन के आखिरी पड़ाव में यह दुर्दिन भी देखना होगा, इसकी कल्पना उन्होंने कभी नहीं की होगी।

काजी रशीद मसूद सहारनपुर के कस्बा गंगोह के रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उच्च शिक्षा हासिल कर काजी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में की थी। नकुड़ सीट से उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। इसके बाद काजी सन 1977 में जनता पार्टी से लोकसभा का चुनाव लड़े और जीतकर दिल्ली पहुंचे। सन 1980 में काजी ने लोकदल के चुनाव चिन्ह पर लोकसभा का चुनाव सहारनपुर सीट से लड़कर जीता। राजनीतिक जीवन में काजी के धुर विरोधी चौधरी यशपाल सिंह रहे। करीब छह दशक से इन दो दिग्गजों के बीच चुनावी संग्राम में तलवारें खिंचती रहीं। वक्त की नजाकत को भांपने में काजी रशीद मसूद शुरू से माहिर रहे। जब जरूरत समझी तब उन्होंने पाला बदल लिया। सन 1986 में लोकदल से राज्यसभा पहुंचने वाले रशीद मसूद 89 व 91 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुवाई वाले जनतादल से चुनाव लड़े और विजयी हुए। इसी दरम्यान उन्हें केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री का ओहदा मिला। एमबीबीएस सीट घोटाला भी इसी समय का रहा।

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मुस्लिमों में गहरी पैठ के बावजूद रशीद मसूद सेक्युलर मिजाज नेता कहे जाते रहे हैं। रशीद का समाजवादी पार्टी से भी लंबे समय तक रिश्ता रहा है। 1996 और 97 में वह सपा के ही चुनाव चिन्ह पर लोकसभा के लिए मैदान में उतरे। यह और बात है कि उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा। काजी 2004 में सपा के टिकट पर लड़े और जीतकर संसद पहुंचे। उत्तर प्रदेश में 2011 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले टिकट बंटवारे में मुलायम सिंह यादव से अनबन के बाद रशीद मसूद ने सपा को छोड़ दिया। इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें अपनाया और राज्यसभा का सदस्य बनाया।

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