मुलायम पर हमलावर हुए रामगोपाल
पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने मुलायम सिंह के उस बयान को मूर्खतापूर्ण करार दिया, जिसमें नेताजी ने कहा था कि अमर सिंह ने उन्हें कई बार बचाया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी से निष्कासन के बाद प्रोफेसर रामगोपाल यादव मंगलवार को पहली बार खुलकर बोले। उन्होंने सपा नेता अमर सिंह को जहां काफी भलाबुरा कहा, वहीं सपा प्रमुख मुलायम सिंह पर हमला करने से नहीं चूके। पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने मुलायम सिंह के उस बयान को मूर्खतापूर्ण करार दिया, जिसमें नेताजी ने कहा था कि अमर सिंह ने उन्हें कई बार बचाया है।
प्रोफेसर यादव काफी तल्ख थे। उन्होंने कहा 'मुलायम सिंह का बयान नॉनसेंस स्टेटमेंट है। क्या वह यह कहना चाहते हैं कि अमर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई को मैनेज कर लिया?' कड़वाहट भरी नाराजगी व्यक्त करते हुए रामगोपाल यादव बेलौस बोले जा रहे थे। मुलायम सिंह पर तीखा हमला करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि मुलायम सिंह खुद अपने बेटे से ईष्र्या करने लगे हैं। अखिलेश की लोकप्रियता से उन्हें जलन हो रही है। लेकिन उन्हें पता नहीं है कि अखिलेश के बिना कोई समाजवादी पार्टी नहीं है।
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उसी रौ में प्रोफेसर यादव ने कहा कि अखिलेश जब लोगों के बीच निकलेंगे तो उनके सारे विरोधी साफ हो जाएंगे। क्यों कि जहां अखिलेश हैं वहीं समाजवादी पार्टी है। दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव की राम गोपाल के प्रति नाराजगी आज और तीखी हो गई। उन्होंने रामगोपाल को बाहरी बताकर उनसे जुड़े किसी सवाल के जवाब देने से साफ मना कर दिया। रामगोपाल का नाम लिये बगैर निशाना साधते हुए मुलायम सिंह ने कहा कि कुछ बाहरी लोग पार्टी के साथ षडयंत्र कर रहे हैं।
तथ्य यह है कि भाजपा से सांठगांठ के आरोप में सपा ने रामगोपाल यादव को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने रामगोपाल पर भ्रष्टाचार में लिप्त करने का गंभीर आरोप भी लगाया है।
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प्रोफेसर रामगोपाल और शिवपाल के बीच लड़ाई की मुख्य वजह कहीं पंद्रह अगस्त की चिट्ठी तो नहीं है? राज्य में आयोजित स्वतंत्रता समारोह में मुलायम सिंह यादव के भाषण में शिवपाल यादव की जमकर प्रशंसा की गई थी। जबकि इसी दौरान राज्य की अखिलेश सरकार की कटु आलोचना की गई। पार्टी के थिंक टैंक और अखिलेश के सबसे बड़े पैरोकार कहे जाने वाले प्रोफेसर रामगोपाल यादव को यह सब बहुत नागवार गुजरा था।
उन्होंने एक लंबा चौड़ा पत्र पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव के नाम लिख भेजा। सूत्रों के मुताबिक उस पत्र में शिवपाल यादव के बारे में बहुत कुछ कहा गया था। यह पत्र की शक्ल में शिवपाल यादव पर लगाये गये कई तरह के गंभीर आरोपों की फेहरिस्त थी। बताया जाता है कि मुलायम सिंह के नाम भेजा गया पत्र शिवपाल को मिल गया। इसके बाद से ही यादव कुनबे के दोनों प्रमुख नेताओं के बीच कड़वाहट दुश्मनी में तब्दील होने लगी।
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सूत्र बताते हैं कि रामगोपाल ने अपनेपत्र में कई अति संवेदनशील आरोप भी लगाये थे। पत्र के साथ कुछ तथ्य और सबूत भी लगाये गये थे। इसे लेकर यादव बंधुओं के बीच कई मर्तबा गरमागरमी तक भी हुई। पारिवारिक सदस्यों के बीच इस तरह के संगीन आरोप प्रत्यारोप से नेताजी भी व्यथित थे, लेकिन मुलायम की सख्त नाराजगी का नजला प्रोफेसर पर ही गिरा। नतीजतन, प्रोफेसर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।