राज्यसभा के सदस्यों की मिलावट के खिलाफ सख्त कानून की मांग
खाद्य पदार्थों में मिलावट को लेकर राज्यसभा में सभी दलों ने प्रभावी कदम उठाकर इस समस्या के खिलाफ कड़ाई से निपटने की मांग की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खाद्य पदार्थो में मिलावट के बढ़ते मामलों का मुद्दा बृहस्पतिवार को राज्यसभा में उठा। सभी दलों के सदस्यों ने सरकार से इस समस्या से कड़ाई से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की।
समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा दूध से लेकर फल-सब्जियों, मसालों समेत कोई भी चीज मिलावट से मुक्त नहीं रही है। लौकी में इंजेक्शन लगाकर उसकी लंबाई बढ़ा दी जाती है। फलों के ऊपर मोम चढ़ाकर चमकाया जा रहा है। यह अत्यंत गंभीर मामला है। मिलावट की वजह से ही हृदय, यकृत तथा कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। मौजूदा कानून इस समस्या से निपटने में विफल है। क्योंकि मिलावट के लिए बहुत कम सजा है। मिलावट साबित होने पर 1000 रुपये का जुर्माना या छह माह की सजा है। केवल मिलावट से मौत पर आजीवन कारावास का प्रावधान है। जबकि यूरोप में मिलावट को सबसे बड़ा अपराध माना जाता है।
हालत यह है कि अब चीन से आयातित प्लास्टिक को सामान्य चावल में मिलाकर बेचा ला रहा है। इसी तरह सिंथेटिक दूध की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। चैनल वाले दिखा रहे हैं कि किस तरह एक आदमी खुले आम रोजाना सौ-सौ लीटर सिंथेटिक दूध बनाकर बेच रहा है। दिल्ली में दूध के 68 फीसद नमूने फेल हो गए हैं। एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार बाजार में बिक रहे 70 फीसद दूध में मिलावट है।
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अग्रवाल की बात का भाजपा समेत सभी दलों के सदस्यों ने समर्थन किया। सरकार की ओर से संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कहा कि वह सदन की भावनाओं से संबंधित मंत्रालय को अवगत करा देंगे और उचित कार्रवाई के लिए कहेंगे। उप सभापति पीजे कुरियन ने भी खुद को सदन की भावना के साथ जोड़ते हुए कहा कि यह अत्यंत गंभीर मामला है। मिलावट के कारण ही कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने नकवी से कहा कि आप इस विषय में संबंधित मंत्री से बात कर ज्यादा सख्त कानून लाने के लिए कहें।
पिछले महीने उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2015 पर संसद में प्रस्तुत रिपोर्ट में संसदीय समिति ने भी मिलावट करने वालों के विरुद्ध अत्यंत कड़े दंडात्मक प्रावधानों का सुझाव दिया है। इनमें अत्यधिक जुर्माने के अलावा खाद्य लाइसेंस रद करने की बात शामिल है। रिपोर्ट में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक संगठन द्वारा पिछले साल दिसंबर में जारी रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि हर पांच में से एक खाद्य आइटम में मिलावट के साथ झूठे दावे किए गए हैं। मिलावट के सर्वाधिक मामले उत्तर प्रदेश में पाए गए हैं, जबकि पंजाब और मध्य प्रदेश दूसरे व तीसरे नंबर पर हैं।