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लोकसभा में बोले गृहमंत्री, असहिष्णुता के सबसे बड़े शिकार पीएम मोदी

लोकसभा में चल ही असहिष्णुता पर चर्चा का जबाव देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि कौन असहिष्णु है और कौन सहिष्णु, इसका फैसला देश करेगा। उन्होंने विपक्ष पर देश में असहिष्णुता का बनावटी माहौल खड़ा करने का आरोप लगाते हुए लेखकों, कलाकारों, वैज्ञानिकों से सरकार के सामने अपनी बात

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 05:40 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2015 07:52 AM (IST)
लोकसभा में बोले गृहमंत्री, असहिष्णुता के सबसे बड़े शिकार पीएम मोदी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा में चल ही असहिष्णुता पर चर्चा का जबाव देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि कौन असहिष्णु है और कौन सहिष्णु, इसका फैसला देश करेगा। उन्होंने विपक्ष पर देश में असहिष्णुता का बनावटी माहौल खड़ा करने का आरोप लगाते हुए लेखकों, कलाकारों, वैज्ञानिकों से सरकार के सामने अपनी बात रखने के लिए आमंत्रित किया।

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राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा असहिष्णुता का शिकार यदि कोई हुअा है, तो वह भारतीय जनता पार्टी हुई है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हुए हैं। उन्हें फासिस्ट कहा गया। जनमत का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में देश तथाकथित असहिष्णुता का बनावटी महौल पैदा किया जा रहा है। देश की छवि खराब करने का प्रयास किया जा रहा है।

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यही नहीं, उन्होंने अवार्ड लौटाने वाले कलाकारों व साहित्यकारों से अपने-अपने अवार्ड फिर से वापस ले जाने की भी अपील की। साथ ही उन्होंने आश्वासन भी दिया कि यदि कोई देश में समरसता बिगाड़ना चाहेगा, तो उसकी खैर नहीं होगी। मुसीबत के समय देश के मार्गदर्शन में साहित्यकारों, कलाकारों और वैज्ञानिकों के योगदान का जिक्र करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि आपकी बात सुनने के लिए सरकार हमेशा तैयार है। उन्हें बातचीत करने के लिए आमंत्रित करते हुए उन्होंने कहा कि आप आइए, बात करिये और हम आपका सुझाव सुनने के लिए तैयार नहीं है। साथ ही उन्होंने अवार्ड लौटाने वाले लेखकों और कलाकारों से भी अपना सम्मान वापस ले लेने की अपील की। लेकिन अवार्ड वापसी की राजनीति करने वाले लेखकों को आड़े हाथों लेते हुए उन पर जनता के फैसले के प्रति असहिष्णु होने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले कुछ लेखकों ने नरेंद्र मोदी को हराने की अपील करते हुए उन्हें फासिस्ट करार दिया था। अब वे जनता के फैसले के प्रति असहिष्णुता दिखाते हुए अवार्ड वापसी की राजनीति कर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने आजादी के बाद असहिष्णुता की तीन बड़ी घटनाओं का उल्लेख किया, जो कांग्रेस के शासन के दौरान हुई थीं। इमरजेंसी को असहिष्णुता की सबसे बड़ी घटना बताते हुए उन्होंने कहा कि उस समय वामपंथी विचारधारा के कई लोग तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ खड़े थे और आज सहिष्णुता की बात कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि दिल्ली की सड़कों पर सिखों के कत्लेआम और कश्मीर में पंडितों पर अत्याचार के समय असहिष्णुता की बात करने वाले चुप क्यों थे।

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उन्होंने आश्वासन दिया कि जो भी देश की समरसता को बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसकी खैर नहीं होगी। भारत को दुनिया का सबसे सहिष्णु देश बताते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि हम किसी दबाव में सहिष्णु नहीं हैं, बल्कि यह हमारी परंपरा में है। यही कारण है कि जहां दूसरी जगहों पर मुसलमानों के विभिन्न फिरके आपस में एक-दूसरे का खून बहा रहे हैं, वहीं भारत में वे सभी शांति से एक साथ रह रहे हैं। हमारी सहिष्णुता सबसे उदाहरण यह है कि हम मुस्लिम और हिंदू धर्म के खिलाफ लिखने वाले कबीर को भी अपना संत मानते हैं।

दादरी पर राजनाथ ने कहा कि जैसे ही मुझे इस घटना के बाबत पता चला वैसे तुरंत ही मैंने यूपी सरकार को एडवाइजरी जारी की। यूपी सरकार की ओर से जो उत्तर मुझे मिला उसमें सांप्रदायिक तनाव, गाय के मांस आदि किसी का भी जिक्र नहीं है। दादरी कांड पर अगर उत्तर प्रदेश सरकार सीबीआइ जांच की पेशकश करती है तो केंद्र सरकार इसे तुरंत कराने के लिए तैयार है। दादरी कांड पर उत्तर प्रदेश की सरकार की रिपोर्ट में सांप्रदायिकता का जिक्र नहीं है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच की पेशकश भी नहीं की। पीएम की चुप्पी पर राजनाथ ने कहा कि आतंरिक मामलों के लिए गृहमंत्री की जिम्मेदारी है।

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विपक्ष ने किया वाकअाउट

लोकसभा में असहिष्णुता पर चर्चा के दौरान जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह जवाब देना शुरु किया तो कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आप भारत आओ और हमारे सवालों का जवाब दो। राजनाथ सिंह के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुअा। इसके बाद कांग्रेस सहित टीएमसी, लेफ्ट, एनसीपी ने असहमति जताते हुए सदन का वॉकअाउट किया।


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