टीम मोदी ने तैयार किया सरकार-संगठन का खाका
राजग को पूर्ण बहुमत मिलने की स्थिति में भी भाजपा कुछ दूसरे दलों को साथ जोड़कर ही आगे बढ़ना चाहती है। बीजद के बाद जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक ने मोदी सरकार में शामिल होने के संकेत देकर पार्टी को बल भी दे दिया है। गांधीनगर में नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और नितिन गडकरी की बैठक में जहां सरकार का खाका तैयार करने की कोशिश हुई वहीं भावी सहयोगियों को लेकर भी चर्चा हुई। बीजद और अन्नाद्रमुक के रुख पर विशेष तौर से विचार विमर्श हुआ।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राजग को पूर्ण बहुमत मिलने की स्थिति में भी भाजपा कुछ दूसरे दलों को साथ जोड़कर ही आगे बढ़ना चाहती है। बीजद के बाद जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक ने मोदी सरकार में शामिल होने के संकेत देकर पार्टी को बल भी दे दिया है। गांधीनगर में नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और नितिन गडकरी की बैठक में जहां सरकार का खाका तैयार करने की कोशिश हुई वहीं भावी सहयोगियों को लेकर भी चर्चा हुई। बीजद और अन्नाद्रमुक के रुख पर विशेष तौर से विचार विमर्श हुआ।
चुनावी नतीजे आने से पहले ही पार्टी सरकार गठन को लेकर कवायद पूरी कर लेना चाहती है। बुधवार की शाम गांधीनगर में हुई बैठक में मोटे तौर पर निर्णय भी ले लिए गए। इस बैठक को एक तरीके से संसदीय बोर्ड के ही रूप में देखा जा रहा है। गांधीनगर जाने से पहले राजनाथ सिंह और गडकरी सुषमा स्वराज से मुलाकात कर चुके थे। एक्जिट पोल आने के बाद गडकरी लालकृष्ण आडवाणी से भी मिल चुके थे। एक तरह से संसदीय बोर्ड के अधिकतर वरिष्ठ सदस्यों के बीच औपचारिक-अनौपचारिक रूप से सभी मुद्दों पर चर्चा हो चुकी है।
बताते हैं कि गांधीनगर की बैठक में राजग के विस्तार या वृहत राजग बनाने पर गंभीर चर्चा हुई। दरअसल पार्टी को अहसास है कि लोकसभा में बहुमत मिलने के बावजूद राज्यसभा में वर्तमान राजग की ताकत बहुत ज्यादा नहीं है। ऐसे में मोदी एक सदन में मजबूत और दूसरे में कमजोर दिखना नहीं चाहते हैं। ध्यान रहे कि बीजद ने परोक्ष रूप से समर्थन का संकेत दे दिया है। खुद बीजद नेता नवीन पटनायक ने भाजपा नेताओं से बातचीत से तो इन्कार किया लेकिन उन्होंने समर्थन देने के नाम पर इन्कार भी नहीं किया है। जबकि दूसरे नेताओं ने यह संकेत दिया कि कुछ शर्तो के साथ समर्थन दिया जा सकता है। अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता ने नतीजा आने के बाद फैसले की बात कहकर संकेत दे दिया है कि उन्हें परहेज नहीं है। वैसे भी वह पहले मोदी का समर्थन कर चुकी हैं। उनकी पार्टी के ही एक नेता मलाईस्वामी ने यह कहकर नजदीकी का संकेत दे दिया कि 'अगर मोदी पीएम बनते हैं तो जयललिता अच्छे संबंध रखना चाहेंगी।' राकांपा नेता अब सफाई भले ही दे रहे हों, प्रफुल्ल पटेल ने यह कहकर भाजपा की आस जरूर जगा दी है कि केंद्र में स्थायी सरकार की जरूरत है। लिहाजा गांधीनगर की बैठक में हर पहलू पर विचार हुआ और संभावना तलाशी गई।
सूत्र बताते हैं कि बैठक में संगठन और सरकार को लेकर विस्तृत विचार विमर्श हुआ। दरअसल पार्टी नहीं चाहती है कि 1999 की गलती दोहराई जाए, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार तो मजबूत थी लेकिन संगठन कमजोर हो गया था। जाहिर है कि ऐसी दशा में या तो राजनाथ संगठन में बने रहेंगे या फिर उनकी जगह कोई दूसरा मजबूत व्यक्ति संगठन की कमान संभालेगा। यूं तो गडकरी भी संगठन में वापसी चाहते हैं लेकिन फिलहाल राजनाथ के पद पर बने रहने की ज्यादा संभावना है। नतीजे आने के बाद मोदी पहले वाराणसी जा सकते हैं। उसके बाद वह दिल्ली आएंगे। यह भी संभव है कि 16 मई को वह गांधीनगर से ही पूरा माहौल देखें। सामान्यता चुनाव नतीजे के दिन होने वाली संसदीय बोर्ड की बैठक इस बार एक दिन बाद 17 मई को होगी। इसमें तय होगा कि भाजपा संसदीय दल और राजग संसदीय दल की बैठक कब बुलाई जाए। पार्टी संसदीय दल की बैठक में ही औपचारिक तौर पर पीएम पद के लिए नेता के तौर पर नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगेगी। इसके बाद अगली मुहर राजग के सहयोगी लगाएंगे।
आडवाणी को मिलेगा मनचाहा पद
गांधीनगर की बैठक में लालकृष्ण आडवाणी और डॉ. मुरली मनोहर जोशी की भूमिका पर भी चर्चा हुई। जोशी तो शायद मंत्रिमंडल में हों, लेकिन आडवाणी को उनकी इच्छा के अनुसार ही कोई पद दिया जा सकता है। वैसे भी वह राजग के अध्यक्ष हैं। गांधीनगर में राजनाथ ने भी सवालों के जवाब में स्पष्ट कर दिया कि आडवाणी जी पर फैसला उनकी उपस्थिति में ही संसदीय बोर्ड लेगा।