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आतंकियों की फांसी ऐसे ही माफ नहीं होने देगा केंद्र

राजीव गांधी के हत्यारों और भुल्लर समेत अन्य आतंकियों की फांसी सरकार इतनी आसानी से माफ नहीं होने देगी। वह देरी के आधार पर फांसी माफी के फैसले के खिलाफ जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। याचिका में सरकार भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के तहत आने वाले सामान्य अपराध और टाडा जैसे आतंकवाद

By Edited By: Published: Thu, 30 Jan 2014 05:02 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jan 2014 07:25 AM (IST)

नई दिल्ली, माला दीक्षित। राजीव गांधी के हत्यारों और भुल्लर समेत अन्य आतंकियों की फांसी सरकार इतनी आसानी से माफ नहीं होने देगी। वह देरी के आधार पर फांसी माफी के फैसले के खिलाफ जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी। याचिका में सरकार भारतीय दंड संहिता के तहत आने वाले सामान्य अपराध और टाडा जैसे आतंकवाद रोधी विशेष कानून में दोषी ठहराए गए अपराधियों को एकसमान लाभ देने के फैसले का विरोध करेगी।

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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के तीन हत्यारे और युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एमएस बिंट्टा पर जानलेवा हमला करने वाला देविंदर पाल सिंह भुल्लर फांसी माफी के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। दोनों मामलों में ताजा फैसले का लाभ मिल सकता है। शीर्ष अदालत राजीव के हत्यारों की याचिका पर गुरुवार और भुल्लर की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी।

गत 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 15 दोषियों की फांसी दया याचिका निपटाने में हुई अनुचित देरी के आधार पर उम्रकैद में तब्दील कर दी थी। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भुल्लर के मामले में दिए गए दो न्यायाधीशों के फैसले से असहमति जताते हुए कहा था कि देरी के आधार पर फांसी माफी का लाभ टाडा के तहत दोषी ठहराए गए लोगों को भी मिलेगा। इस फैसले में कोर्ट ने आइपीसी और गैर आइपीसी के दोषियों को समान रूप से लाभ दे दिया है। जबकि, भुल्लर की फांसी माफी की अपील खारिज करते हुए दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि आतंकी वारदातों के दोषियों की फांसी देरी के आधार पर उम्रकैद में नहीं बदली जा सकती।

सूत्र बताते हैं कि सरकार को तीन न्यायाधीशों के ताजा फैसले में दी गई व्यवस्था पर आपत्ति है क्योंकि इससे आतंकी वारदातों के दोषी भी फांसी से बच जाएंगे। सरकार की पुनर्विचार याचिका में मुख्यतौर पर आइपीसी और गैर आइपीसी के अपराधों में दोषियों को समान लाभ देने का विरोध किया जाएगा। सरकार तो चाहती थी कि राजीव के हत्यारों की याचिका पर सुनवाई कुछ हफ्तों के लिए टल जाए ताकि उसे पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का समय मिल जाए, लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका। जेठमलानी राजीव के हत्यारों की ओर से पैरवी कर रहे हैं।

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