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शीर्ष नेताओं से मिले बिना लौटीं राजे

ललित मोदी विवाद के बीच नीति आयोग की बैठक के लिए दिल्ली पहुंची राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पार्टी के किसी बड़े नेता से मिले बगैर ही जयपुर वापस लौट गईं। राजे छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ नीति आयोग की बैठक में भाग लेने दिल्ली आईं थी। ललित मोदी

By Sachin kEdited By: Published: Sun, 28 Jun 2015 12:14 AM (IST)Updated: Sun, 28 Jun 2015 07:46 AM (IST)
शीर्ष नेताओं से मिले बिना लौटीं राजे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ललित मोदी विवाद के बीच नीति आयोग की बैठक के लिए दिल्ली पहुंची राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पार्टी के किसी बड़े नेता से मिले बगैर ही जयपुर वापस लौट गईं। राजे छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ नीति आयोग की बैठक में भाग लेने दिल्ली आईं थी। ललित मोदी मामले में केंद्रीय नेतृत्व से क्लीनचिट मिलने के बाद उम्मीद की जा रही थी कि वे वरिष्ठ नेताओं से मिलकर अपनी स्थिति और स्पष्ट करेंगी। मगर शीर्ष नेतृत्व अभी किसी भी किस्म के कयास को हवा नहीं देना चाहता, इसलिए भी मुलाकात से बचा गया।

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ललित मोदी विवाद में घिरी वसुंधरा राजे नीति आयोग की बैठक में शामिल होने शनिवार की सुबह 9.30 बजे दिल्ली पहुंचीं। बैठक खत्म होते ही मात्र चार घंटे में मीडिया से मुखातिब हुए बगैर चुपचाप विशेष विमान से जयपुर लौट गईं। आधिकारिक रूप से भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेताओं के वसुंधरा राजे से दूरी बनाने का खंडन किया है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि वसुंधरा राजे का किसी वरिष्ठ नेता से मिलने का कोई तय कार्यक्रम नहीं था।

जिस तरह से दूसरे भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री बैठक के बाद वापस लौट गए, उसी तरह वसुंधरा भी वापस चली गईं। लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जैसे वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे से मिलकर इस समय अफवाहों को हवा देना नहीं चाहते। दूसरी ओर, वे नए सबूत आने की आशंका में फिलहाल दूरी बनाना बेहतर समझ रहे हैैं।

विपक्ष गड़े मुर्दे उखाड़ रहा : भाजपा
ललित मोदी विवाद में भाजपा पहले ही वसुंधरा राजे को क्लीनचिट दे चुकी है। शुक्रवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली की पहले प्रधानमंत्री और बाद में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात के बाद भाजपा खुलकर वसुंधरा के साथ आ गई थी। विवाद में वसुंधरा के पक्ष के स्वीकार करते हुए पार्टी ने इस्तीफे की विपक्ष की मांग को सिरे से खारिज किया था। भाजपा ने कांग्र्रेस पर पुराने मामलों को बेवजह तरजीह देने का आरोप लगाया। भाजपा का कहना है कि पिछले एक साल में मोदी सरकार पर एक भी आरोप लगाने में विफल रहा विपक्ष गड़े मुर्दे उखाड़ रहा है।

क्लीनचिट का कारण :
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वसुंधरा राजे के बेटे और भाजपा सांसद की कंपनी में ललित मोदी की कंपनी के निवेश का मामला 2006-7 का है। कांग्र्रेस की सरकार के दौरान आयकर रिटर्न में इसका जिक्र किया जा चुका है। जबकि खुद वसुंधरा के खिलाफ आरोप 2011 का है, जब वे विपक्ष की नेता थीं। उनके दस्तखत का जो दस्तावेज दिखाया जा रहा है, उसे कभी अदालत में पेश ही नहीं किया गया। वसुंधरा इससे पहले की इन्कार कर चुकी हैैं।

मैंने इस्तीफा दिया था : आडवाणी
सुषमा स्वराज और वसुंधरा राजे पर उठे विवाद को पार्टी के ही वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ही और हवा दे दी है। उन्होंने मोदी सरकार पर अपनी नसीहत का बम फोड़ते हुए कहा कि राजधर्म के लिए सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी बरतने की जरूरत है। आडवाणी ने यह भी याद दिलाया कि जब हवाला घोटाले में उनका नाम उछाला था तो उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया था। 1996 में हवाले मामले में ब्रोकर एसके जैन की डायरी में एलके लिखे होने पर उन्होंने बतौर सांसद इस्तीफा दिया था। जांच में क्लीनचिट मिलने के बाद वह 1998 में पुन: चुनाव जीतकर आए थे।

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