राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला, 'माता-पिता के पास रहेगा बच्चा'
जिस फैसले का लोगों को बेसब्री से इंतजार था वह राजस्थान हाईकोर्ट ने सुना दिया है। हाईकोर्ट ने बच्चे को माता-पिता के पास रहने का फैसला सुनाया। यही नहीं कोर्ट ने छुट्टी के दिन अदालत लगाकर यह निर्णय दिया।
जयपुर। जिस फैसले का लोगों को बेसब्री से इंतजार था वह राजस्थान हाईकोर्ट ने सुना दिया है। हाईकोर्ट ने बच्चे को माता-पिता के पास रहने का फैसला सुनाया। यही नहीं कोर्ट ने छुट्टी के दिन अदालत लगाकर यह निर्णय दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बच्चे के दादा दादी सप्ताह में एक बार मिल सकते हैं।
क्या था पूरा मामला
जयपुर के एक परिवार है, जहां माता-पिता ने दुधमुंहे बच्चे को एक संन्यासी को सुपुर्द कर दिया है। दादा दादी को आशंका है कि उसकी बलि दी जा सकती है। इसी को लेकर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुनवाई के लिए अदालत में दोनों पक्षों के वकील के अलावा एक व्यक्ति बच्चे को लेकर पहुंचे थे। लगभग एक घंटे तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुनाया।
इससे पहले कल हुई सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी। माता-पिता ने कहा कि पहले बच्चे के दादा-दादी उसे गोद देने के लिए राजी थे लेकिन बाद में उनका मन बदल गया। हम बच्चें का भला-बुरा जानते हैं और जिस बाबा को बच्चा गोद दिया गया है वह खुद अच्छे पढ़े लिखे हैं और उनसे बच्चे को किसी तरह के नुकसान की संभावना नहीं है। वहीं दादा ने आशंका जताई कि वह संन्यासी तांत्रिक है और उन्हें डर है कि वो बच्चे की बलि दे देगा।
दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद जजों ने बच्चे को अदालत में पेश करने को कहा। माता-पिता के वकील को शाम छह बजे तक का वक्त दिया गया। कोर्ट ने शाम सात बजे तक इंतजार किया, लेकिन बच्चों को नहीं लाया जा सका। इसके बाद जजों ने शनिवार को कोर्ट लगाने का फैसला किया।
मालूम हो कि जयपुर के रहने वाले दंपति पवन और डॉ.पूजा ने 23 तारिख को अपने बच्चे को खंडवा के धार्मिक गुरु छोटे सरकार को गोद दे दिया था। गुरु का कहना था कि बच्चा आगे चलकर उनकी गद्दी पर बैठेगा।