आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण देगी राजस्थान सरकार
राजस्थान सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण देने की कवायद शुरू कर दी है।
नईदुनिया, जयपुर। राजस्थान में आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण देने की कवायद तेज हो गई है। इसके लिए राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य में अनारक्षित परिवारों के सामाजिक आर्थिक पिछड़ेपन का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। सर्वेक्षण के लिए 40 हजार परिवारों का रैंडम आधार पर चयन किया गया है। सर्वेक्षण के लिए चार माह का समय तय किया गया है। सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण के मापदंड तय किए जाएंगे।
राजस्थान में भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में आर्थिक पिछड़ों को आरक्षण देने की घोषणा की थी। पिछले वर्ष विधानसभा में आर्थिक रूप से पिछड़ों को 14 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक पारित किया जा चुका है। यह आरक्षण उन वर्गो को दिया जाएगा जिन्हें किसी भी श्रेणी में आरक्षण नहीं मिला है और जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।
ऐसे हो रहा है सर्वे : सर्वे के लिए आयोग ने दो स्वयंसेवी संगठनों को जिम्मेदारी सौंपी है। यह संस्थाएं रैंडम आधार पर चयनित प्रदेश के 40 हजार अनारक्षित परिवारों के सामाजिक आर्थिक पिछडे़पन के कारणों का पता लगाएंगी। सर्वे के लिए पांच पेज की 50 से ज्यादा सवालों वाली एक प्रश्नावली तैयार की गई है।
भाजपा के असंतुष्ट विधायक घनश्याम तिवाड़ी सहित कई संगठन इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। उधर सरकार चुनावी वर्ष में इसे लागू करने की तैयारी में है, ताकि इसका बड़ा राजनीतिक फायदा मिल सके। हालांकि कानूनी दृष्टि से इसे लागू करना मुश्किल होगा, क्योंकि यह आरक्षण की 50 प्रतिशत की निर्धारित सीमा के अतिरिक्त होगा। इसके अलावा संविधान में भी आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में इसे न्यायालय में चुनौती मिलने की पूरी संभावना है।
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