मुंबई में पटरी पर लौटी जिंदगी
पिछले दो-तीन दिनों से भारी बारिश के चलते घरों में कैद मुंबईकर की जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है। शनिवार को रुक-रुककर पानी गिरने के बावजूद लोग घरों से निकले और सामान्य कामकाज निपटाया। दफ्तरों में भी लोगों की उपस्थिति सामान्य रही। हालांकि, खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं
मुंबई, राज्य ब्यूरो। पिछले दो-तीन दिनों से भारी बारिश के चलते घरों में कैद मुंबईकर की जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है। शनिवार को रुक-रुककर पानी गिरने के बावजूद लोग घरों से निकले और सामान्य कामकाज निपटाया। दफ्तरों में भी लोगों की उपस्थिति सामान्य रही। हालांकि, खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में जोरदार बारिश की भविष्यवाणी की है।
उल्लेखनीय है कि पिछले 48 घंटों में मुंबई में 437 मिमी वर्षा हुई है। सिर्फ शुक्रवार को 283 मिमी पानी गिरा है, जो आम तौर पर 10 दिनों की बारिश के बराबर है। शनिवार को जलभराव की समस्या में भी कमी आई। दादर, परेल, सायन और घाटकोपर जैसे निचले इलाकों में कल कमर से ऊपर तक पानी नजर आ रहा था। वहां आज पानी न होने से लोगों ने राहत महसूस की। लोकल ट्रेनों के प्लेटफॉर्म काफी हद तक जलभराव से मुक्त रहे। लेकिन मध्य, पश्चिम एवं हार्बर लाइन की लोकल ट्रेनें पूरी तरह से समय पर नहीं चल रही हैं। स्कूल-कॉलेज और अदालतों को आज भी सावधानीवश बंद रखा गया।
भाजपा समेत अन्य दलों का शिवसेना पर हमला
इस मौसम की पहली तेज बरसात में ही मुंबई के डूब जाने से आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो गया है। कांग्रेस-राकांपा और भाजपा ने मिलकर शिवसेना पर हमला बोल दिया है। 26 जुलाई, 2005 को मुंबई में आई भीषण बाढ़ के बाद जलनिकासी व्यवस्था को सुधारने की बड़ी योजना तैयार की गई थी। लेकिन पिछले 10 वर्षों में भी कोई सुधार दिखाई नहीं दिया है। खासतौर से मानसून की पहली जोर की बारिश में जलभराव की समस्या जस की तस है। समुद्र में ज्वार के समय दो-तीन घंटे की बारिश से भी निचले इलाकों में जलभराव हो जाता है।
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