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रेलवे की बिगड़ी चाल सुधारने को नियमित चेयरमैन की तलाश

मितल को रेलवे बोर्ड चेयरमैन बनाने तथा विस्तार देने के पीछे सरकार का मकसद बिबेक देबराय समिति की सिफारिशों को लागू करना था।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 23 Jun 2017 09:13 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 07:04 AM (IST)
रेलवे की बिगड़ी चाल सुधारने को नियमित चेयरमैन की तलाश
रेलवे की बिगड़ी चाल सुधारने को नियमित चेयरमैन की तलाश

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रेलवे बोर्ड चेयरमैन एके मितल का कार्यकाल बीच में समाप्त हो सकता है। उन्हें रेल विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाने की चर्चा है। उनकी जगह किसी नियमित अधिकारी को बोर्ड का चेयरमैन बनाए जाने की अटकलें हैं।

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मितल को रेलवे बोर्ड चेयरमैन बनाने तथा विस्तार देने के पीछे सरकार का मकसद बिबेक देबराय समिति की सिफारिशों को लागू करना था। उनमें कुछ सिफारिशें लागू हो चुकी हैं, जबकि कुछ बाकी हैं। लागू होने वाली सिफारिशों में रेलवे में प्रशासनिक परिवर्तन, रेल बजट का आम बजट में विलय तथा रेल विकास प्राधिकरण का गठन प्रमुख हैं। इससे रेलवे की हालत में सुधार हुआ हो या नहीं, परंतु रोजमर्रा का कामकाज अवश्य गड़बड़ा गया है। इसे ठीक करने के लिए सरकार को अब रेलवे बोर्ड चेयरमैन पद पर एक नियमित व तेजतर्रार अधिकारी की जरूरत महसूस हो रही है। मितल के विस्तार के कारण प्रमोशन से वंचित बोर्ड के कई मेंबर व जोनों के महाप्रबंधक इस अवसर की ताक में बैठे हैं। दूसरी ओर आरडीए के प्रमुख के तौर पर सरकार को ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो अनुभवी होने के साथ-साथ सुधार के एजेंडे को चुपचाप आगे बढ़ाए। इस लिहाज से मितल एकदम उपयुक्त हैं।

रेल विकास प्राधिकरण (आरडीए) रेलवे का नियामक है जिसके गठन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसी साल अप्रैल में मंजूरी दी थी। इसका मुख्य कार्य किराये-भाड़े की दरों के बारे में सरकार को सुझाव देने के अलावा रेलवे में निजी निवेश के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड तैयार करना होगा। आरडीए में चेयरमैन के अलावा तीन सदस्य होंगे। शुरू में रेलवे से बाहर के व्यक्ति को चेयरमैन बनाने की चर्चा थी। परंतु अब शुरुआती तौर पर भीतरी व्यक्ति को चेयरमैन बनाने पर विचार हो रहा है। मितल इसके लिए एकदम उपयुक्त हैं। परंतु वह यह नई जिम्मेदारी लेने के इच्छुक नहीं हैं। इसकी तीन वजहें हैं।

पहली वजह यह है कि आरडीए का चेयरमैन बनने पर उन्हें रेलवे बोर्ड चेयरमैन का पद बीच में छोड़ना पड़ेगा। उनके विस्तारित कार्यकाल को अभी साल भर से भी ज्यादा का समय बाकी है। दूसरा कारण यह है कि आरडीए चेयरमैन का पद रेलवे बोर्ड चेयरमैन से छोटा है। जबकि तीसरी वजह यह बताई जाती है कि मितल आरडीए की नई जिम्मेदारियों के पचड़े में नहीं पड़ना चाहते।

दूसरी ओर सरकार मितल को ही आरडीए का पहला चेयरमैन बनाना चाहती है। सूत्रों के अनुसार ये वही कारण हैं जिनकी वजह से उन्हें 31 दिसंबर, 2014 को रेलवे बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था, और फिर 31 जुलाई 2016 को रिटायर होने के साथ ही विशेष पुनर्नियुक्ति आदेश के जरिए दो साल का सेवा विस्तार दे दिया गया था। यह विस्तारित कार्यकाल वैसे तो 31 जुलाई, 2018 को समाप्त होना है, परंतु मितल इससे पहले भी विदा हो सकते हैं।

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