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रेलवे ने माना, हादसों के वक्त हुई थी लापरवाही

नई चेक लिस्ट के मुताबिक, सूचना मिलते ही मंडल संरक्षा अधिकारी को अपने सलाहकार के साथ दुर्घटनास्थल पर पहुंचना होगा।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 26 Apr 2017 08:44 AM (IST)Updated: Wed, 26 Apr 2017 08:44 AM (IST)
रेलवे ने माना, हादसों के वक्त हुई थी लापरवाही
रेलवे ने माना, हादसों के वक्त हुई थी लापरवाही

नई दिल्ली, संजय सिंह। पुखरायां, रूरा और कुनेरू ट्रेन हादसों के वक्त यदि स्थानीय रेलवे अधिकारियों ने राहत व बचाव कार्यों में चुस्ती दिखाई होती तो कई यात्रियों की जान बच सकती थी। रेल मंत्रालय ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए राहत व बचाव कार्यों की नई चेक लिस्ट जारी की है। अधिकारियों को अब इसके अनुसार कार्य करना होगा।

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किसी ट्रेन दुर्घटना की स्थिति में समस्त सरकारी तंत्र को किस प्रकार परस्पर समन्वय से कार्य करना है, इसकी विस्तृत प्रक्रिया राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के तहत तय की गई है। इसमें रेलवे की भूमिका अहम है, लेकिन रेलवे के नियम-कायदे इतने जटिल हैं कि इनका पालन करने में अक्सर अधिकारियों से चूक हो ही जाती है। पुखरायां, रूरा व कनेरू हादसों के वक्त यह खामी विशेष रूप से उभरकर सामने आई। इसमें देखा गया कि स्थानीय पुलिस व प्रशासन के लोगों को दुर्घटना की जानकारी पहले मिल गई और उन्होंने मौके पर पहुंचकर मोर्चा भी संभाल लिया। दूसरी ओर रेलवे के संरक्षा तंत्र की नींद देर से खुली। राहत व बचाव कार्यो के प्रति उनका रवैया भी ऐसा था जिसमें घायलों को अस्पताल पहुंचाने से ज्यादा चिंता दुर्घटना के साक्ष्य जुटाने/मिटाने में थी। पुखरायां हादसे की जांच करने वाले संरक्षा आयुक्त ने भी इस बात को लेकर नाराजगी भी जताई थी। 

नई चेक लिस्ट के मुताबिक, सूचना मिलते ही मंडल संरक्षा अधिकारी को अपने सलाहकार के साथ दुर्घटनास्थल पर पहुंचना होगा। गार्ड या लोको पायलट से बात कर नुकसान का अंदाजा लगाना होगा। क्षतिग्रस्त डिब्बों की गिनती करनी होगी। इसके तुरंत बाद राहत व बचाव टीम को रवाना करने के इंतजाम करने होंगे। इसके साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) व अन्य सरकारी एजेंसियों से मदद की मांग करनी होगी। संचार व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ हादसे के संभावित कारणों का आकलन कर उसके साक्ष्य सुरक्षित करने होंगे। इसके बाद वरिष्ठ सहयोगियों के जरिए क्षतिग्रस्त पटरी, पुर्जों की पड़ताल व नापजोख के उपाय करने होंगे। फिर यह देखना होगा कि वहां कोई गति सीमा तो निर्धारित नहीं थी। क्या पिछली ट्रेन के ड्राइवर ने किसी गड़बड़ी की रिपोर्टिग की थी। यह सारी सूचना डिवीजन इमरजेंसी सेल को देनी होगी और पुस्तिका में भी इसे दर्ज करना होगा। 

प्रत्येक घायल यात्री का अस्पताल ब्यौरा भी रखना होगा। कब तक यातायात सामान्य होगा इसका आकलन करके वरिष्ठ अधिकारियों को बताना होगा। वीसेट के जरिए लाइव फीड देने के अलावा उसे दुर्घटना की आकाशीय तस्वीरें खिंचवाकर रेलवे सिस्टम में अपलोड करनी होंगी। उसे जोनल मुख्यालय व रेलवे बोर्ड के इमरजेंसी सेल को दुर्घटना के बारे में अपडेट करने की जिम्मेदारी निभाना होगी।

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