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लागत के मुकाबले रेल किराये अब भी कम : रेल मंत्री

रेलमंत्री सदानंद गौड़ा के मुताबिक किराये-भाड़े में 25 जून से होने वाली बढ़ोतरी के बावजूद चालू वित्त वर्ष में रेलवे को सिर्फ आठ हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। इस तरह यात्री यातायात में 17 हजार करोड़ रुपये का घाटा तब भी बना रहेगा। लागत के मुकाबले रेल किराये अभी कम हैं। इनमें बढ़ोतरी की गुं

By Edited By: Published: Fri, 20 Jun 2014 10:38 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jun 2014 12:34 PM (IST)
लागत के मुकाबले रेल किराये अब भी कम : रेल मंत्री

नई दिल्ली। रेलमंत्री सदानंद गौड़ा के मुताबिक किराये-भाड़े में 25 जून से होने वाली बढ़ोतरी के बावजूद चालू वित्त वर्ष में रेलवे को सिर्फ आठ हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। इस तरह यात्री यातायात में 17 हजार करोड़ रुपये का घाटा तब भी बना रहेगा। लागत के मुकाबले रेल किराये अभी कम हैं। इनमें बढ़ोतरी की गुंजाइश है। रेलवे को अभी यात्री सेवाओं में सालाना लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

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अभी यात्री यातायात में घाटे की भरपाई माल ढुलाई से होने वाले मुनाफे से की जाती है। संप्रग सरकार ने 2014-15 के अंतरिम रेल बजट में यात्री यातायात से 37,500 हजार करोड़ रुपये, जबकि माल यातायात से 94,000 करोड़ रुपये की आमदनी का लक्ष्य रखा था। इस तरह प्राप्त होने वाली कुल 1,31,500 करोड़ रुपये की कमाई में से लगभग 92 फीसद राशि रेलवे को चलाने, वेतन और पेंशन देने में खर्च हो जाएगी।

इससे महज 10,520 करोड़ रुपये बचेंगे। ऐसे में पांच लाख करोड़ की लंबित परियोजनाओं को जल्द पूरा करने, साढ़े बारह हजार रेलवे क्रासिंग पर पुल बनाने और चार महानगरों के बीच बुलेट ट्रेन चलाने के मोदी के सपने को पूरा करने के लिए धन जुटाने के नए उपाय अपनाए जाने जरूरी हैं। किराया-भाड़ा बढ़ाने से तो केवल नुकसान की भरपायी होगी।

रेलमंत्री बजट में संरक्षा कोष स्थापित करने का संकेत पहले ही दे चुके हैं। इसके लिए कोई अधिभार लगाया जाएगा या किसी अन्य तरीके से यह राशि जुटाई जाएगी, यह जानने के लिए जुलाई में पेश होने वाले रेल व आम बजट का इंतजार करना होगा।

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