राहुल जीते मगर मुश्किल में अमेठी
लोकसभा चुनाव में अमेठी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव तो जीत गए, लेकिन परिवर्तन की इस लड़ाई में अमेठी हारी दिख रही है। विकास की जो योजनाएं संप्रग सरकार के समय चल रही थीं उन पर विराम लग गया है। रेल बजट और आम बजट में भी अमेठी को निराशा हाथ लगी। पिछले दस साल केंद्र म
अमेठी, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव में अमेठी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव तो जीत गए, लेकिन परिवर्तन की इस लड़ाई में अमेठी हारी दिख रही है। विकास की जो योजनाएं संप्रग सरकार के समय चल रही थीं उन पर विराम लग गया है। रेल बजट और आम बजट में भी अमेठी को निराशा हाथ लगी।
पिछले दस साल केंद्र में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार रही और अमेठी की नुमाइंदगी करने वाले राहुल गांधी ने यहां विकास की गंगा बहाने की कोशिश की। चुनावी हलचल से पहले भी अमेठी को कई परियोजनाओं का तोहफा मिला। राहुल ने सलोन के मिनी स्टेडियम से कई रेल परियोजनाओं का शिलान्यास किया। सत्ता परिवर्तन के बाद अब तक इन परियोजनाओं के लिए जमीन की पैमाइश नहीं हो सकी है। सवा करोड़ की लागत से राहुल ने अमेठी रेलवे स्टेशन के पास बहुउद्देशीय भवन का शिलान्यास किया। अब तक इसमें एक भी ईट नहीं रखी गई। सासंद के प्रयासों से लगभग तीस अरब की लागत से बनने वाली विभिन्न सड़कों का शिलान्यास किया गया। इनमें से कई पर काम नहीं शुरू हो सका। दो सौ करोड़ की लागत वाले मेगा फूड पार्क की आधारशिला रखी गई थी, लेकिन अब तक काम नहीं शुरू हुआ। साढ़े चार अरब की लागत से राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट भवन का निर्माण होना था, लेकिन काम बंद है। सौ करोड़ से इंदिरा गांधी एविएशन अकादमी का विस्तार होना था। यह भी लंबित रह गया।
इसके अतिरिक्त राहुल के प्रयासों से 3600 करोड़ का लागत से ¨हदुस्तान पेपर मिल की स्थापना के लिए शिलान्यास किया गया था। जमीन भी मिल चुकी है लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ। चुनाव से पहले मिले केंद्रीय विद्यालय व सैनिक स्कूल के तोहफे भी अब तक लोगों के नहीं नसीब हो सके हैं। दस करोड़ की लागत से बनने वाला तिलोई अस्पताल भी अब तक हवा में ही है। पूरे देश में सत्ता परिवर्तन की लहर के बीच भी अमेठी ने कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा। शायद यही अब अगले पांच सालों के लिए यहां की अवाम को दर्द झेलने पर मजबूर कर देगा। यहां से चुनाव हारने वाली भाजपा की मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी कैबिनेट मंत्री के ओहदे तक पहुंचीं लेकिन वह यहां के लिए कितना कुछ करती हैं यह तो वक्त बताएगा।
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