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चले राहुल किसानों का मसीहा बनने, दी मोदी को नसीहत

करीब दो माह के विदेश प्रवास से लौटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अब देश के किसानों की चिंता सता रही है। पहले भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर उन्होंने किसान रैली में चुप्पी तोड़ी। रामलीला मैदान में पुराने और रटे-रटाए जुमले फेंक खुद को किसानों का हमदर्द साबित करने की

By anand rajEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2015 04:01 PM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 12:22 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। करीब दो माह के विदेश प्रवास से लौटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को अब देश के किसानों की चिंता सता रही है। पहले भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर उन्होंने किसान रैली में चुप्पी तोड़ी। रामलीला मैदान में पुराने और रटे-रटाए जुमले फेंक खुद को किसानों का हमदर्द साबित करने की कोशिश की। इसके बाद 16वीं लोकसभा में पहली बार मुंह खोला भी तो किसानों के मुद्दे पर। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत देने से भी नहीं चूके।

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गांधी ने सोमवार को लोकसभा में नियम 193 के तहत किसानों की स्थिति पर जारी चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पीएम को खेतों में जाना चाहिए। किसान किन हालात का सामना कर रहे हैं, उसे समझना चाहिए। उनको बड़े लोगों की राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्हें किसानों की राजनीति करनी चाहिए।

राहुल ने बेमौसम बारिश से हुई हानि पर पेश आंकड़ों को लेकर भी केंद्र को घेरा। उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने 180 लाख हेक्टेयर जमीन की फसल प्रभावित होने की बात कही थी। बाद में इसे घटा कर 106 लाख हेक्टेयर किया गया। अब 80 लाख हेक्टेयर की फसल नष्ट होने की बात कही जा रही है।

राहुल का हमला

--मोदी अच्छे दिन लाने में विफल रहे हैं। यह देश के 67 फीसद किसानों और मजदूरों की सरकार नहीं है।

--किसानों ने हमें हरित क्रांति दी, लेकिन 'अच्छे दिनोंÓ वाली सरकार ने देश को नाकामी की ओर धकेल दिया।

--आपकी सरकार पढ़े-लिखे लोगों की सरकार है। सूट-बूट वालों की सरकार है।

--देश की 60 फीसद जनता खेती पर निर्भर है। अगर मोदी राजनीतिक समीकरण समझते हैं तो वह इतने लोगों की अनदेखी क्यों कर रहे हैं।

--किसानों की अनदेखी कर भाजपा अपना बड़ा नुकसान कर रही है।

--राष्ट्र का भविष्य अनाज पर निर्भर करता है, बंदूकों पर नहीं।

वेंकैया का पलटवार

--जिन्हें जनता ने नकार दिया है वे प्रधानमंत्री को सलाह नहीं दे सकते।

--सरकार ने किसानों को मुआवजा डेढ़ गुना किया है। आधी फसल बर्बाद होने की शर्त घटाकर 33 फीसद कर दी है।

--मीडिया की हेडलाइन हमारी डेडलाइन नहीं हो सकती है।

--कांग्रेस सरकार गरीबों की बात करते हुए अमीरों के लिए काम करती थी। इसीलिए आप अब विपक्ष में हैं।

--आपको पांच साल सब्र करना चाहिए और फिर अपनी किस्मत आजमानी चाहिए।

--कांग्रेस 462 अध्यादेश लाई थी। वह '100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली' वाली कहावत सही साबित कर रही है।

कृषि मंत्री का जवाब कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने चर्चा का जबाव देते हुए कहा कि जो आंकड़े राज्यों की तरफ से दिए जाते हैं, केंद्र सरकार उसे ही मानती है। अब तक राज्यों ने 93 लाख हेक्टेयर की फसल खराब होने की सूचना दी है। राहुल ने कृषि क्षेत्र की दशा सुधारने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का हवाला दिया था। कृषि मंत्री ने कहा कि पूर्व संप्रग सरकार ही आठ वर्षों तक इस आयोग की सिफारिशों पर बैठी रही। उन्होंने खेती की मौजूदा दुर्दशा के लिए कांग्रेस की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।

'मैंने संसद में राहुल का पूरा भाषण तो नहीं सुना, लेकिन लोगों ने मुझे बताया कि यह बहुत अच्छा था। उनकी वापसी से मैं बहुत ज्यादा खुश हूं।' -सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष


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