सरकार का वादा, हर हाल मे किसानों की आय की जाएगी दोगुनी
चर्चा के दौरान कई सांसदों ने किसानों को उनके उत्पाद के लिए उचित मूल्य दिलाने की मांग रखी थी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के विभिन्न राज्यों में किसानों की बेहद दयनीय स्थिति को लेकर बुधवार को संसद के दोनों सदनों में काफी चिंता जताई गई। लोकसभा में किसानों की स्थिति पर पूरी चर्चा भी कराई गई। चर्चा का जवाब देते हुए कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए दीर्घकालिक नीति के तहत काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार हर हाल में किसानों की आय तो पांच वर्षो में दोगुनी करने के लिए दृढ़ है और इसके लिए हर स्तर पर काम किया जा रहा है।
चर्चा के दौरान कई सांसदों ने किसानों को उनके उत्पाद के लिए उचित मूल्य दिलाने की मांग रखी थी। इस बारे में सिंह ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाना सिर्फ एक विकल्प है लेकिन सरकार इससे आगे की सोच रही है। हमारी कोशिश है कि उत्पादों की उचित मूल्य दिलाई जाए। इसके लिए राज्यों की सहमति से मंडी कानून में आवश्यक संशोधन किया जा रहा है। अब तक 450 मंडियां ई-प्लेटफार्म पर आ चुकी हैं। यह कदम किसानों की स्थिति सुधारने में युगांतकारी साबित होगा। राज्यों को कहा गया है कि वे जल्दी से अपना पोर्टल बनाये। यह सारा काम मार्च, 2018 तक पूरा कर लिया जाएगा।
खेती की लागत को कम करने के लिए सरकार ने पहले ही परंपरागत कृषि प्रणाली पर जोर दे रही है। इसके साथ नई प्रणाली में जैविक खेती, रासायनिक खादों व कीटनाशकों के कम से कम प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। मिट्टी की जांच से अंधाधुंध खाद के प्रयोग पर अंकुश लगाने की कोशिश हो रही है। एक अध्ययन में पाया गया कि इससे 10 फीसद यूरिया की खपत कम हुई है। नीम कोटेड यूरिया का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है और यह देश में खेती को सुधारने में बहुत उपयोगी होगा।
इसके लोकसभा व राज्यसभा में दिन की शुरुआत ही किसानों के मामले में हंगामे के साथ हुई। प्रश्न काल के शुरु होते ही कांग्रेसी सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया जिससे सदन की कार्रवाई दस मिनट बाद ही स्थगित करना पड़ा। बाद में यह तय हुआ कि नियम 193 के तहत लोकसभा में किसानों की स्थिति पर चर्चा कराई जाएगी। चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि मध्य प्रदेश में पिछले 30 दिनों में 65 किसानों ने आत्महत्या की है लेकिन राज्य सरकार का एक मंत्री किसी मृत किसान के घर पर नहीं गया।
किसानों में निराशा की आग सिर्फ मध्य प्रदेश तक नहीं है बल्कि यह महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और उत्तर प्रदेश तक पहुंच चुकी है। किसानों को कहीं आशा की किरण नहीं दिखाई दे रही है। कांग्रेस की तरफ से सरकार के सामने नौ मांगे भी रखी गई। इसमें स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट के मुताबिक कदम उठाने की बात है। इसमें किसानों पर बकाये कर्ज को पूरी तरह से माफ करने की भी मांग है। गन्ना किसानों के लिए ज्यादा कीमत मांगी गई है। अनाज की तरह सभी सब्जियों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की भी मांग रखी गई है। पीएम फसल बीमा योजना के तहत मौजूदा नियमों को बदलने की भी मांग की गई है ताकि किसानों को ज्यादा राशि मिल सके।
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