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दार्जिलिंग बंद का दसवां दिन, मांगे पूरी न होने पर आंदोलन तेज करने की धमकी

दार्जिलिंग में सातवें दिन भी बंद जारी रहा। जीजेएम प्रमुख ने मीडिया को संबोधित करते हुए मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन को तेज करने और आखिरी दम तक लड़ने की धमकी दी है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 02:30 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 02:58 PM (IST)
दार्जिलिंग बंद का दसवां दिन, मांगे पूरी न होने पर आंदोलन तेज करने की धमकी

दार्जिलिंग (प्रेट्र)। अलग राज्य की मांग को लेकर दार्जिलिंग जीजेएम के प्रमुख बिमल गुरुंग के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन और अनिश्चितकालीन बंद आज दसवें दिन भी जारी है। जीजेएम प्रमुख ने मीडिया को संबोधित करते हुए मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन को तेज करने और आखिरी दम तक लड़ने की धमकी दी है। विरोध के सातवें दिन इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया साथ ही स्थानीय केबल चैनल को पहाड़ी के कुछ हिस्सों में बंद कर दिया गया।  गौरतलब है कि, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) से जुड़े गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के चुने हुए सदस्यों ने हाल ही में विरोध की शुरूआत की थी। जिसने कल ही सामूहिक रूप से जीजेएम से इस्तीफा दिया।

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पार्टी ने जीटीए समझौते की प्रतियां जलाने का फैसला किया, जो 2011 में केंद्रीय गृह मंत्रालय, पश्चिम बंगाल सरकार और जीजेएम के बीच 26 और 27 जून को हुआ था। बंद के कारण कई विद्यार्थी बोर्डिंग स्कूलों में फंसे रहे। जिसके बाद जीजेएम ने कल 12 घंटे के लिए स्कूलों को खोले जाने की इजाजत दी थी जिससे विद्यार्थी सुरक्षित रुप से वहां से जा सकें। मालूम हो कि, 17 जून को गुरंग और उनकी पत्नी आशा के खिलाफ पुलिसकर्मियों पर हत्या, आगजनी, हमले और हिंसा भड़काने की साजिश का मामला दर्ज किया गया था।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दार्जिलिंग में पार्टी द्वारा बुलाए गए अनिश्चितकालीन बंद को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को देखते गुरुंग पर नोटिस जारी की है। गुरुंग ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ हुई उनकी वार्ता में सकारात्मक परिणाम निकलने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल सरकार ने कल गृह सचिव मलय डी के बयान को खारिज कर करते हुए एक बयान जारी किया जिसमें जिसमें कहा गया था कि "पहाड़ियों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सरकार के दरवाजे वार्ता के लिए खुले हैं।" राज्य सरकार ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को सिक्किम के मुख्यमंत्री पवन कुमार चामलिंग के द्वारा अलग गोरखालैंड राज्य की जीजेएम की मांग का समर्थन करने के लिए एक पत्र भी भेजा और कहा कि यह "असंवैधानिक" था।

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