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गंगा तट के श्मशानघाटों के विकास परियोजना को हरी झंडी

राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकार (एनजीबीआरए) पैनल ने गंगा नदी के किनारे स्थित श्मशानघाटों को विकसित किए जाने की परियोजना को मंजूरी दे दी है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Wed, 04 May 2016 07:30 PM (IST)Updated: Wed, 04 May 2016 08:08 PM (IST)
गंगा तट के श्मशानघाटों के विकास परियोजना को हरी झंडी

नई दिल्ली, प्रेट्र । राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकार (एनजीबीआरए) पैनल ने गंगा नदी के किनारे स्थित श्मशानघाटों को विकसित किए जाने की परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना का मकसद शव दाह से नदी में होने वाले प्रदूषण को कम करना है।

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एनजीबीआरए की अधिकार प्राप्त संचालन समिति (ईएससी) द्वारा मंगलवार को मंजूर की गई परियोजना की लागत 2,446 करोड़ रुपये है। हरिद्वार से उत्तराखंड की सीमा, उत्तर प्रदेश में गढ़मुक्तेश्वर, बिहार के बक्सर, हाजीपुर और सोनपुर, साहेबगंज, राजमहल और झारखंड के कन्हैया घाट और दिल्ली में परियोजना पर काम शुरू कराया जाएगा। सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक यह पूरी तरह केंद्र पोषित परियोजना है।

ईएससी ने गंगा नदी में वन्य हस्तक्षेप पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की भी प्रशंसा की है। इसका लक्ष्य पौध रोपण के जरिये गंगा में पानी का प्रवाह बढ़ाना और प्रदूषण का बोझ कम करना है। परियोजना के लिए पांच वर्ष तक का समय निर्धारित किया गया है और इसपर 2,294 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

ईएससी के अध्यक्ष जल संसाधन सचिव शशि शेखर हैं। वन एवं पर्यावरण, वित्त, शहरी विकास और ऊर्जा मंत्रालयों के साथ ही गंगा बेसिन के पांच राज्यों की सरकारें इसके सदस्य हैं। केंद्र ने हाल ही में स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन में नए मिशन निदेशक की नियुक्ति की है। पिछले कुछ महीनों से यह पद खाली पड़ा था।


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