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पृथ्वी की जगह लेगी नई मिसाइल प्रहार

नई दिल्ली। भारत अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए 150 किमी रेंज वाली पृथ्वी मिसाइल की जगह प्रहार को शामिल करने पर विचार कर रहा है। भारतीय रक्षा व अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) प्रमुख अविनाश चंदर ने बताया कि हम अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए 150 किमी मारक क्षमता वाली पृथ्वी मिसाइल को हटाकर प्रहार को शामिल करेंगे, जो ज्यादा सक्षम और

By Edited By: Published: Sun, 30 Jun 2013 07:12 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2013 07:15 PM (IST)

नई दिल्ली। भारत अपनी मारक क्षमता बढ़ाने के लिए 150 किमी रेंज वाली पृथ्वी मिसाइल की जगह प्रहार को शामिल करने पर विचार कर रहा है। भारतीय रक्षा व अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) प्रमुख अविनाश चंदर ने बताया कि हम अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए 150 किमी मारक क्षमता वाली पृथ्वी मिसाइल को हटाकर प्रहार को शामिल करेंगे, जो ज्यादा सक्षम और सटीक है।' पृथ्वी मिसाइल के सामरिक संस्करण को सेवा से हटाने के अलावा लंबी दूरी के लिए उसको और बेहतर किया जाएगा।

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डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि पृथ्वी मिसाइल के सामरिक संस्करण को सेवा से हटाने के बाद 100-150 किमी की मारक क्षमताओं में आने वाले खालीपन को भरने के लिए 'प्रहार' अच्छा विकल्प है। 150 किमी की मारक क्षमता वाली प्रहार सिंगल स्टेज मिसाइल है, जिसमें ठोस ईधन का इस्तेमाल होता है। डीआरडीओ ने पहली बार इसका प्रायोगिक परीक्षण 2011 के दौरान ओडिशा रेंज से किया था। छोटी दूरी की यह मिसाइल 90 किमी की मारक क्षमता वाले स्मर्च मल्टीबैरल रॉकेट लांचर और पृथ्वी जैसे निर्देशित प्रक्षेपास्त्रों के बीच का अंतराल भरेगी। यह 250-350 किमी की दूरी तक मार कर सकती है।

प्रहार मिसाइल का विकास जारी है और सेना को जल्द ही इसके इस्तेमाल के लिए परीक्षण का प्रस्ताव भेजा जाएगा। अगर मंजूरी मिल जाती है, तो प्रहार को आर्टिलरी कोर में शामिल किए जाने की योजना है। भारत ने 1980 के दशक में अपने 'एकीकृत प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम' के तहत पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र का विकास किया था। बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र 150-350 किमी की मारक क्षमताओं के साथ विकसित किया गया है। लंबी दूरी के प्रक्षेपास्त्र को सेना और वायुसेना दोनों में शामिल करने की योजना है।

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