एक अप्रैल से दो फीसदी बढ़ जाएंगे आवश्यक दवाओं के मूल्य
द ड्रग्स कंट्रोल ऑर्डर के अंतर्गत रेगुलेटर थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव के आधार पर सभी तरह की आवश्यक दवाओं की वार्षिक मूल्य कि रिवाइज कर सकता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। एक अप्रैल से आवश्यक दवाएं करीब दो फीसदी महंगी होने जा रही है। द नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने कंपनियों से कहा है कि वह थोक मूल्य सूचकांक (व्होलसेल प्राइस इंडेक्स) यानि डब्ल्यूपीआई पर वार्षिक मूल्य में बढ़ोत्तरी के लिए जरूरी कागजात सौंपे।
द ड्रग्स कंट्रोल ऑर्डर के अंतर्गत रेगुलेटर थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव के आधार पर सभी तरह की आवश्यक दवाओं की वार्षिक मूल्य को रिवाइज कर सकता है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी ख़बर के मुताबिक, बुधवार को आधिकारिक ज्ञापन जारी कर द प्राइसिंग अथॉरिटी ने कहा, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकर की तरफ से इस बात की पुष्टि के बाद व्होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) में वार्षिक वृद्धि 1.97186 फीसदी का होना जा रहा है।
हालांकि, उपभोक्ता को जहां अगले महीने से दवाओं के लिए पहले से कुछ ज्यादा चुकाना होगा तो वहीं दूसरी तरफ फार्मास्युटिकल्स कंपनियों को इससे कुछ राहत मिलेगी क्योंकि पिछले दो सालों से मूल्य निर्धारण को लेकर काफी दबाव में थी। एनपीपीए के मुताबिक, कैंसर की दवाएं के दाम में पिछले एक साल में करीब 13 से 86 फीसदी की कमी की गई है। इसके साथ ही, डायबिटीज की दवाओं के दाम में भी कटौती हुई है।
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