बंजर पड़ी जमीन पर खेती कर चमक उठी यहां के गरीब आदिवासियों की किस्मत
गांव की बंजर भूमि पर लेमन ग्रास उगा कमा रहे मुनाफा, वैकल्पिक खेती से बदल रही गोड़्डा के दर्जनों किसानों की तकदीर, बढ़ता जा रहा कारवां
गोड्डा (अविनाश)। झारखंड के गोड्डा जिले के कदवा गांव में कभी चारों ओर बंजर जमीन और गरीबी के सिवा कुछ और नहीं था। ग्रामीणों के पास शहर जाकर मजदूरी करने के अलावा कोई और चारा नहीं था। लेकिन गांव की ही एक महिला के प्रयासों की बदौलत तस्वीर अब बिलकुल बदल गई है। सेरोफिना सोरेन नामक इस आदिवासी महिला ने अपनी सोच व मेहनत से गांव की तस्वीर बदलने का बीड़ा उठाया। सेरोफिना सोरेन की पहल पर आज उनका गांव लेमन ग्रास की खुशबू से महक रहा है। बंजर पड़ी रहने वाली जमीनों पर इसकी खेती शुरू की गई। जो अब इस आदिवासी गांव के किसानों की तकदीर बदल रही है।
कदवा गांव की कहानी
गोड्डा जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल कदवा गांव के लोगों की गुजर-बसर का साधन खेती ही रहा है। लेकिन गांव की ज्यादातर भूमि बंजर है। इसलिए बड़े स्तर पर खेती नहीं हो पा रही थी। इंटर तक पढ़ी गांव की ही सेरोफिना ने इसका हल ढूंढ निकाला। बकौल सेरोफिना, गांव में काफी बंजर भूमि है। इसे उपजाऊ बनाकर आमदनी का जरिया बनाने का विचार किया। अपने शिक्षक पति सुनील कुमार हांसदा के जरिये कृषि विशेषज्ञ से बात की। उन्होंने बताया कि लेमन ग्रास बंजर भूमि पर भी उगती है। यहां की जलवायु भी इसके लिए उपयुक्त है। बस बात बन गई। अब लेमन ग्रास की खेती ने यहां के किसानों के चेहरे चमका दिए हैं।
देहरादून में लिया प्रशिक्षण
सेरोफिना लेमन ग्रास की खेती देखने देहरादून भी गईं। वहां प्रशिक्षण लिया। फिर गांव पहुंच ससुर पटवारी हांसदा को इसकी खेती के लिए तैयार किया। अन्य किसानों को भी प्रेरित किया। पहले तो किसान तैयार नहीं हुए। कहा कि घास से क्या फायदा होगा। इसे खरीदेगा कौन। पर, जब बताया कि लेमन ग्रास बंजर जमीन पर होती है तो किसान तैयार हो गए।
फ्यूचर एरोमावल्र्ड प्राइवेट लिमिटेड का किया गठन
सेरोफिना ने बताया कि लेमन ग्रास की खेती के लिए जमीन मिल गई। अब बीज व खेतों को तैयार करने के लिए राशि की जरूरत थी। ग्रामीण राशि लगाने को तैयार नहीं थे। तब परिचितों के सहयोग से मुंबई के कुछ लोगों से बात की। उन्होंने लेमन ग्रास की खेती में आर्थिक सहयोग की हामी भरी। तब हमने एक कंपनी फ्यूचर एरोमावल्र्ड प्राइवेट लिमिटेड बनाई।
खेती से जुड़े 75 किसान
बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए आज सबका सहयोग मिल रहा है। शुरुआत में 25 एकड़ भूमि पर लेमन ग्रास लगाई। बेहतर फसल देखकर अन्य किसान भी जुड़े। अब 46 एकड़ में खेती हो रही है। 75 किसान जुड़ गए है। दो तीन कटाई के बाद लेमन ग्रास और तेजी से बढ़ती है। जिला कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने मिट्टी जांच आदि में सहयोग किया। सेरोफिना ने कहा कि यदि गांव में सिंचाई सुविधा हो तो लेमन ग्रास की मेड़ पर मूली, गाजर जैसी सब्जियां भी उगाई जा सकती हैं। इस दिशा में कोशिश की जा रही है।
गुणों की खान है लेमन ग्रास
लेमन ग्रास का उपयोग हर्बल चाय व कॉस्मेटिक्स बनाने में होता है। इसका तेल निकाला जाता है। जो दर्द में उपयोगी होता है। इससे मधुमेह और रक्तचाप की दवाई बनती है। एलर्जी के उपचार में यह कारगर साबित होता है। लेमन ग्रास के आसपास मच्छर नहीं होते। इसे मवेशी भी नहीं खाते। बीज रोपने के बाद एक साल में लेमन ग्रास तैयार हो जाती है। इसके बाद पांच वर्ष तक इसकी कटाई कर सकते हैं।
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