मेरी तरह न बनें भारतीय लड़कियां : पूनम पांडेय
अतुल पटैरिया, नई दिल्ली। वाकई! भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां नारी पूज्यनीय है और प्रताड़ित भी की जाती है। यहां एक ओर महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं तो पैरों तले रोंदी भी जाती हैं। यहां की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जहां अंतरिक्ष की उड़ान भर देश का सीना चौड़ा करती हैं तो वहीं अनेक लड़कियां
अतुल पटैरिया, नई दिल्ली। वाकई! भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां नारी पूज्यनीय है और प्रताड़ित भी की जाती है। यहां एक ओर महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं तो पैरों तले रोंदी भी जाती हैं। यहां की कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जहां अंतरिक्ष की उड़ान भर देश का सीना चौड़ा करती हैं तो वहीं अनेक लड़कियां ऑनर किलिंग का शिकार हो जाती हैं। कई तो कोख में ही मार दी जाती हैं। कौन कहेगा कि हम डेवलपिंग कंट्री हैं? यह कहना है मॉडल-अभिनेत्री पूनम पांडेय का। जी हां, वही पूनम पांडेय जो अपनी बोल्डनेस के लिए जानी जाती हैं। वही पूनम पांडेय जो अपनी न्यूड तस्वीरों के लिए पहचानी जाती हैं। पूनम ने भारतीय लड़कियों को संदेश दिया है कि वे उनकी तरह न बनें। वह जो भी कर रही हैं या कर चुकी हैं, वह उनकी प्रोफेशनल मजबूरी है।
हम किस समाज में जी रहे हैं..
पूनम ने गुवाहाटी मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा, हम यह कैसा विकास कर रहे हैं? हम अपने आप को तब तक डेवलपिंग कंट्री नहीं कह सकते हैं, जब तक कि हम महिलाओं को लेकर अपनी सोच का विकास नहीं कर लेते। गुवाहाटी में जो हुआ, सोनाली मुखर्जी मामले में जो हुआ, वह बेहद शर्मनाक है। खाप पंचायतों के फरमानों पर भी ध्यान दें। वे अब महिलाओं के घर से बाहर निकलने पर भी प्रतिबंध लगा देने को आमादा हैं। अभी एक खाप पंचायत ने कहा कि महिलाएं मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें। आखिर हम किस समाज में जी रहे हैं।
प्रॉब्लम लड़कियों की शॉर्ट ड्रेस में नहीं..
पूनम जब आप और शर्लिन चोपड़ा जैसी भारतीय महिलाएं अपनी न्यूड तस्वीरें सार्वजनिक कर सकती हैं, तो क्या यह आपको मिली आजादी नहीं? लोग कहते हैं कि आप जैसी महिलाएं समाज में लड़कियों के लिए मुसीबत का सबब बन रही हैं। इसी वजह से कुछ लोग मॉडर्न लड़कियों को गंदे नजरिए से देखते हैं? इस पर पूनम का कहना है, मामला लोगों की सोच का ही तो है। ये लोग हमेशा लड़कियों को कसौटी पर रखने में लगे रहे हैं। ये लोग महिला-पुरुष में समानता का नजरिया कभी नहीं रख सकते और ना ही ऐसा बर्दाश्त कर सकते हैं। महिलाओं के साथ हमेशा नाइंसाफी होती आई है और हो रही है। हमें अपनी जिंदगी जीने का पूरा हक है, जैसा कि पुरुषों को है। आप उन पर इस तरह की पाबंदियां क्यों नहीं लगाते। क्यों हमेशा लड़कियों पर ही नियम-कानून-कायदे थोपे जाते हैं। इस सोच को बदलना होगा। लोगों ने लड़कियों पर तमाम पाबंदियां लगा रखी हैं कि शॉर्ट कपड़े मत पहने, यहां मत जाओ-वहां मत जाओ। प्रॉब्लम शॉर्ट कपड़ों में नहीं बल्कि पुरुषों की शॉर्ट सोच में है। ऐसे लोगों को समाज में जीने का हक नहीं है।
मर्द कुछ भी कर सकते हैं..
कुछ दिनों पहले मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा था कि लड़कियों को आजादी के नाम पर समाज की हदें पार नहीं करनी चाहिए, जैसा कि कुछ लड़कियां कर रही हैं। तस्लीमा ने यह टिप्पणी सन्नी लिओन को लेकर दी थी। तब विवाद उठा था कि आम लड़कियों के लिए लिओन जैसी लड़कियां क्या संदेश-सीख दे रही हैं? इस पर पूनम का कहना है कि वह तस्लीमा की इज्जत करती हैं, लेकिन समाज हमेशा से महिलाओं को ही कमजोर बनाता रहा है। महिलाओं की ही हर बात पर उसे आपत्तिहोती है, जबकि मर्द कुछ भी करते रहें, किसी को कोई तकलीफ नहीं होती।
जो चाहें वो पहनें लड़कियां..
पूनम कहती हैं कि वे देश की तमाम लड़कियों को यही संदेश देना चाहती हैं कि गंदी सोच के सामने वे बिलकुल झुकें नहीं। पूनम ने कहा, मैं नई पीढ़ी की सभी लड़कियों से यही कहूंगी कि वे वे वही करें, जो वे करना चाहती हैं। खुल कर जिएं। बिकनी, शॉर्ट, स्कर्ट, जींस-टॉप या टी शर्ट, जो चाहें पहनें। आपकी आजादी कोई क्यों छीने। जो गंदे हैं, वे गंदे ही रहेंगे। उनकी गंदी सोच को बदलना होगा।
लेकिन मेरी तरह बनने की जरूरत नहीं..
मैं लड़कियों से यह भी कहना चाहूंगी कि वे खुलकर जिएं, लेकिन मुझे या मेरे जैसी किसी मॉडल को फॉलो न करें। मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि मैं जो कर रही हूं, न्यूड फोटो या और भी कुछ, वह सब मेरी प्रोफेशनल मजबूरी है। मैं शो बिज में हूं और बहुत आगे बढ़ चुकी हूं। अब यही मेरा करियर और यही मेरी जिंदगी है। लेकिन आम लड़की इसका मतलब उस फ्रीडम से न जोड़े, जिसकी मैं पैरवी कर रही हूं।
क्या तुम्हारी बहन-बेटी नहीं है..
पूनम ने गुवाहाटी मामले में जमकर गुस्सा उतारते हुए कहा कि जिन 20 लोगों ने उस अकेली लड़की को सरे राह बेइज्जत किया, क्या उनकी कोई मां-बहन-बेटी नहीं है। जरूर होगी। लेकिन यही तो हमारा समाज है, जो अपने घर की लड़कियों के लिए कुछ और और दूसरे की लड़कियों के लिए कुछ और ही नजरिया रखता है।
तो मैं मर जाती..
मैं यह सोच कर कांप उठती हूं कि यदि मैं उस लड़की की जगह होती तो मैं कैसे जी पाती। मैं उस लड़की का दर्द समझ सकती हूं। बात कपड़े फाड़ देने भर की नहीं है बल्कि जो खौफनाक हादसा उसके साथ हुआ, वह किसी भी लड़की को तोड़ कर रख देगा। उसे जिंदगी भर एक भयंकर खौफ के साथ जीना पड़ेगा।
बदलेंगे हालात..
पूनम ने कहा कि लड़कियों को लेकर जो हालात हमारे यहां पहले थे, वह अब बदल रहे हैं। वक्त लगेगा, लेकिन एक दिन यह अंतर मिट जाएगा। मैं अपनी ही बात करूं तो मैं आज से पांच साल पहले के जो हालात थे, उनमें काफी अंतर पाती हूं। बड़े शहरों में लड़कियां खुल कर जीने लगी हैं। छोटे शहरों और गांवों में भी यह बदलाव आज नहीं तो कल जरूर होगा।
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