प्रदूषण को पड़ेगी किक, दनादन होंगे गोल
सीपीसीबी फीफा अंडर 17 वल्र्ड कप को लेकर राष्ट्रमंडल खेलों की तर्ज पर बनाएगा रणनीति
नई दिल्ली (जेएनएन)। रणजी मैचों के बाद कहीं फीफा वल्र्ड कप पर प्रदूषण का ग्रहण ना लग जाए, इसके लिए तमाम सरकारी एजेंसियां वक्त रहते सतर्क हो गई हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नेतृत्व में जल्द ही एक उच्च स्तरीय बैठक होगी। राष्ट्रमंडल खेलों की तरह चाक- चौबंद रणनीति बनाई जाएगी तो ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम भी सख्ती से लागू होगा। दरअसल, नवंबर 2016 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में पश्चिम बंगाल
और गुजरात के बीच होने वाले दो रणजी मैच वायु प्रदूषण अधिक होने से ही रद करने पड़ गए थे। दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने डीडीसीए (दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन) से आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत की थी।
इस घटनाक्रम के कारण विभिन्न स्तरों पर दिल्ली की किरकिरी भी हुई थी। ऐसे में इस साल 6 से 28 अक्टूबर के मध्य छह शहरों-नई दिल्ली, गोवा, कोच्चि, गुवाहाटी, कोलकाता एवं नवी मुंबई में होने वाले फीफा वल्र्ड कप अंडर-17 के फुटबाल मैचों में कोई खलल न पड़े, इसके लिए अभी से गंभीरता का रुख अपनाया जा रहा है। इसकी एक वजह यह भी है कि इसी महीने में हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं सामने आती हैं। पराली के धुएं से ही बीते साल एक सप्ताह तक दिल्ली गैस का चैंबर बनी रही थी। फीफा वल्र्ड कप के दौरान ऐसी स्थिति नहीं बने, इसके लिए केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के मार्गदर्शन में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी), तीनों नगर निगम, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), परिवहन विभाग और नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) इत्यादि के कुछ आला अधिकारियों की जल्द ही अहम बैठक होगी।
इस बैठक को सीपीसीबी बुलाएगा और वही इस टीम का नेतृत्व करेगा। बताया जाता है कि फीफा वल्र्ड कप के दौरान प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों की तर्ज पर ही रणनीति बनाई जाएगी। जनवरी 2017 में लागू हो चुके ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम को भी सख्ती से लागू किया जाएगा। जिन-जिन स्टेडियमों में फुटबाल मैच होंगे, वहां नॉयज बैरियर भी लगाए जाएंगे।
फीफा वल्र्ड अंडर-17 अंतरराष्ट्रीय इवेंट है। केंद्रीय युवा व खेल मंत्रालय के साथ-साथ दिल्ली की प्रतिष्ठा भी इससे
जुड़ी है। इसीलिए इस पर वायु प्रदूषण की काली छाया बिल्कुल नहीं पड़ने दी जाएगी। सभी एजेंसी मिल कर काम करेंगी। जल्द ही एक बैठक भी बुलाई जा रही है। सख्ती बरतने के साथ अच्छे से अच्छे प्रबंध किए जाएंगे।
-डा. डी. साहा, अतिरिक्त निदेशक, सीपीसीबी।
-संजीव गुप्ता
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