राजनीतिक दलों को बैंक में जमा करानी होगी चंदे की राशि
चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को चंदे में मिलने वाली राशि को बैंक में जमा कराना अनिवार्य कर दिया है। इतना ही नहीं राजनीतिक दल अब चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवारों को तय अधिकतम सीमा से ज्यादा की वित्तीय सहायता भी नहीं दे सकेंगी। चुनाव आयोग के नए प्रावधान एक अक्टूबर से ला
नई दिल्ली। चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को चंदे में मिलने वाली राशि को बैंक में जमा कराना अनिवार्य कर दिया है। इतना ही नहीं राजनीतिक दल अब चुनाव के दौरान अपने उम्मीदवारों को तय अधिकतम सीमा से ज्यादा की वित्तीय सहायता भी नहीं दे सकेंगी। चुनाव आयोग के नए प्रावधान एक अक्टूबर से लागू होंगे। नए निर्देशों का चार राज्यों [हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर] में होने वाले विधानसभा चुनावों पर सीधा असर पड़ेगा।
चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 में मिले अधिकारों के तहत राजनीतिक दलों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राजनीतिक दलों के कोषाध्यक्ष को अब राज्य और निचले स्तर पर सामान्य खाता और पार्टी मुख्यालय में संचित खाता खुलवाना होगा। ये खाते आइसीए [इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट] द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप होंगे। आयकर अधिनियम के तहत सीए द्वारा हर साल इन खातों का ऑडिट कराना होगा। राजनीतिक दलों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी व्यक्ति या कंपनी को अधिकतम 20 हजार रुपये से ज्यादा का नकद भुगतान न किया जाए। बदले प्रावधानों के तहत अब इससे ज्यादा का भुगतान ड्राफ्ट, चेक या फिर बैंक खातों के जरिये ही करना होगा।
हालांकि, राजनीतिक दलों को वैसे गांवों या कस्बों में नकद चंदा लेने की अनुमति दी गई है, जहां बैंक नहीं हैं। इसके अलावा कर्मचारियों या कार्यकर्ताओं के वेतन या पेंशन के नकद भुगतान पर भी रोक नहीं लगाई गई है। आयकर अधिनियम में किसी भी व्यक्ति या कंपनी द्वारा राजनीतिक दलों को नकद चंदा देने पर कटौती का प्रावधान नहीं है। ऐसे में आयोग ने पार्टियों को चंदा देने वालों का पूरा ब्योरा रखने का निर्देश दिया है। लेकिन, नकद में मिली चंदे की राशि को एक सप्ताह के अंदर बैंक खाते में जमा कराना होगा। मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सभी वित्तीय विवरण [जैसे चंदे में मिली राशि, बैंक खातों का वार्षिक लेखाजोखा और चुनावी खर्च का ब्योरा आदि] चुनाव आयोग को देना होगा।
वहीं, गैर मान्यता प्राप्त दलों को संबंधित राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारी के समक्ष ये विवरण देने होंगे। ब्योरा हर साल 31 अक्टूबर से पहले जमा कराना होगा। ात हो कि इस मुद्दे पर चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से उनकी राय मांगी थी। आयोग का कहना है कि अधिकतर दलों ने इसका समर्थन किया है।
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