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पीएनबी घोटाले के बाद सीवीसी के अवार्ड पर उठे सवाल

पीएनबी को अक्टूबर 2017 में ही सीवीसी अवार्ड मिला था। बैंक को यह अवार्ड समय पर अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी करने के ऐवज में मिला था।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 19 Feb 2018 11:26 PM (IST)Updated: Mon, 19 Feb 2018 11:26 PM (IST)
पीएनबी घोटाले के बाद सीवीसी के अवार्ड पर उठे सवाल
पीएनबी घोटाले के बाद सीवीसी के अवार्ड पर उठे सवाल

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पंजाब नेशनल बैंक में 11400 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के अवार्ड पर भी सवाल उठने लगे हैं। जिस पीएनबी में अब तक का सबसे बड़ा बैंक फ्रॉड हुआ है, उसे लगातार तीन साल सीवीसी का अवार्ड मिला तो मिला कैसे। यह तथ्य सामने आने के बाद सीवीसी की कार्यशैली सवालों के घेरे में आ गयी है।

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पीएनबी को अक्टूबर 2017 में ही सीवीसी अवार्ड मिला था। बैंक को यह अवार्ड समय पर अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी करने के ऐवज में मिला था। मुख्य सर्तकता आयुक्त के वी चौधरी ने खुद यह अवार्ड बैंक को प्रदान किया था। खास बात यह है कि जिस समय पीएनबी को यह अवार्ड मिला, उसी दौरान अरबपति ज्वैलर नीरव मोदी ने लैटर ऑफ अंडरटेकिंग की व्यवस्था का इस्तेमाल कर बैंक के साथ इस फ्रॉड को अंजाम दे दिया।गौरतलब है कि सीवीसी हर साल एक सर्तकता सप्ताह का आयोजन करता है और जो बैंक भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में कदम उठाते हैं, उन्हें सीवीसी अवार्ड देता है। यह अवार्ड हर वर्ष भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में प्रभावी कदम उठाने वाले बैंक को दिया जाता है।

सूत्रों ने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद सीवीसी की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इससे यह भी पता चलता है कि सीवीसी की मौजूदा कार्यशैली भ्रष्टाचार को रोकने में प्रभावी साबित नहीं हो रही है। सीवीसी पर ही सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में भ्रष्टाचार रोकने की व्यवस्था की जिम्मेदारी है। हालांकि ऐसा भी देखा गया है कि बहुत से सरकारी विभागों में वहीं के अधिकारियों को सीवीओ यानी चीफ विजलेंस ऑफिसर नियुक्त कर दिया जाता है।


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