पीएम खुद कितनी अर्जियों को पढ़ते हैं, PMO नहीं रखता इसका हिसाब-किताब
इसमें कहा गया है कि पीएमओ के पब्लिक विंग में रोजाना ब़़डी संख्या में पत्र और शिकायतें मिलती हैं। उनमें से जो कार्रवाई योग्य नहीं होते हैं, उन्हें फाइल में लगा दिया जाता है
नई दिल्ली, प्रेट्र। प्रधानमंत्री कार्यालय ([पीएमओ)] इस बात का हिसाब--किताब नहीं रखता कि प्रधानमंत्री खुद कितनी अर्जियों और शिकायतों को पढ़ते हैं। पीएमओ में 1 जून, 2014 से 31 जनवरी, 2016 तक (बीस महीने) में 10 लाख से ज्यादा अर्जियां और शिकायतें आई। यह जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मिले जवाब से सामने आई है।
आरटीआई आवेदक असीम तक्यार ने जानकारी मांगी थी कि 1 मई, 2014 से अभी तक पीएमओ को कितनी शिकायतें, अर्जियां मिलीं? पीएमओ ने कहा कि यह जानकारी बहुत ही अस्पष्ट और व्यापक है। जवाब में बताया गया कि यह बताया जा सकता है कि पीएमओ में 1 जून, 2014 से 31 जनवरी, 2016 तक करीब दस लाख आवेदनों को प्रोसेस किया गया।
इसमें कहा गया है कि पीएमओ के पब्लिक विंग में रोजाना बड़ी संख्या में पत्र और शिकायतें मिलती हैं। उनमें से जो कार्रवाई योग्य नहीं होते हैं, उन्हें फाइल में लगा दिया जाता है और कार्रवाई योग्य पत्रों/शिकायतों को उचित कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को अग्रसारित कर दिया जाता है। जिन पर प्रधानमंत्री/वरिष्ठ अधिकारियों को विचार करना होता है, उन्हें उनके पास भेजकर उनकी राय ली जाती है। लेकिन इस बात का हिसाब-किताब नहीं रखा जाता कि कितनी शिकायतों/अर्जियों को प्रधानमंत्री ने खुद पढ़ा।
केंद्रीय सूचना आयोग की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014-15 में पीएमओ को 12,500 आरटीआई आवेदन मिले, जो रोजाना के हिसाब से औसतन 35 है।
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