भारत-म्यांमार की सयुंक्त प्रेसवार्ता में बोले पीएम, म्यांमार के साथ मजबूती से खड़ा है भारत
प्रधानमंत्री ने कहा कि आंग सान सू की के नेतृत्व में म्यांमार एक आधुनिक और समृद्ध राष्ट्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है। भारत और पूर्ण समर्थन और एकजुटता के साथ आंग सान सू के साथ खड़े होंगे।
नई दिल्ली(एएनआई)।भारत के चार दिवसीय दौरे पर आईं म्यांमार की विदेश मंत्री आंग सान सू की और प्रधानमंत्री मोदी के बीच आज सयुंक्त प्रेस का आयोजन हुआ। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अपने दूसरे घर आने के लिए हम आंग सान सू की का स्वागत करते हैं। यह भारत के लिए एक सम्मान की बात है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि आंग सान सू नेतृत्व में म्यांमार एक आधुनिक और समृद्ध राष्ट्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है। भारत और उसकी दोस्ती पूर्ण समर्थन और एकजुटता के साथ आंग सान सू की के साथ खड़े होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और म्यांमार के बीच एक मजबूत विकास सहयोग कार्यक्रम है। दोनों देश कृषि, बिजली, नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली क्षेत्र सहित कई क्षेत्रों में संबंधों को बढ़ाने के लिए सहमत हो गए हैं। घनिष्ठ एवं मैत्रीपूर्ण पड़ोसी के रूप में दोनों देश सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए बारीकी से गठबंधन कर रहे हैं। इसके अलावा सीमा क्षेत्रों की सुरक्षा के मद्देनजर दोनों देश एक दूसरे के रणनीतिक हितों और आपसी हितों को ध्यान में रखते हुए काम करेंगे।
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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हाल ही में भूकंप में क्षतिग्रस्त हुए पगोडा को बहाल करने के लिए भारत ने म्यांमार को सहायता की पेशकश की है। पीएम ने आगे कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जल्द ही बोधगया में 2 मंदिरों और राजा मींड़ों और राजा बगईद्व के शिलालेख को बहाल करने पर काम शुरू करने जा रहा है।
वही आंग सान सू की ने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि म्यांमार हमेशा दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के लिए भारत की प्रशंसा करता है। हमें विश्वास है कि हमारे देश चुनौतियों को दूर कर सकते हैं।अब समय आ गया है कि हमें कहें कि हाँ हम यह कर सकते हैं।
आपको बता दें कि आंग सांग सू की की पार्टीनेशनल लीग फार डेमोक्रेसी ने देश में पांच दशक के सैन्य शासन को समाप्त किया। नोबेल पुरस्कार विजेता सू की अपनी कालेज समय में अपना लंबा समय भारत में गुजार चुकी है। उन्होंने दिल्ली स्थित लेडी श्री राम कालेज से पढ़ाई की है। भारत द्वारा सू की को अंतरराष्ट्रीय समझ के लिए 1992 में जवाहर लाल नेहरु पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है। उस समय वह म्यांमार में सैन्य शासन में नजरबंद थी।
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