पेरिस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौटे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हिस्सा लेकर भारत लौट आए हैं। प्रधानमंत्री मंगलवार सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरे। पेरिस दौरे के दौरान जहां पीएम मोदी ने पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात की, वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में हिस्सा लेकर भारत लौट आए हैं। प्रधानमंत्री मंगलवार सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरे। पेरिस दौरे के दौरान जहां पीएम मोदी ने पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात की, वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से भी मिले।
सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की वजह से सोमवार को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन अस्तित्व में आ गया। यह सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने और 2030 तक सबको किफायती ऊर्जा मुहैया कराने का एक मंच होगा।
जलवायु सम्मेलन के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने 122 देशों के इस गठबंधन का शुभारंभ किया। इसका उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा कि सौर ऊर्जा संपन्न देशों का गठबंधन बनाने का उनका पुराना सपना था।
प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु सम्मेलन के मौके पर यह घोषणा करते हुए कहा कि इस गठबंधन के तहत 100 देश व उनकी सरकारें, उद्योग, प्रयोगशालाएं व संस्थान साझा उद्यम के रूप में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आज नई उम्मीद का सूर्योदय हो रहा है। यह न केवल स्वच्छ ऊर्जा के लिए होगा, बल्कि अब भी अंधेरे से ग्रस्त गांवों व घरों में रोशन लाएगा। यह सुबह से शाम तक दमकते सूरज के लिए होगा। इस गठबंधन का 100 देश समर्थन कर चुके हैं।
मोदी ने घोषणा की कि सौर महागठबंधन का मुख्यालय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर इनर्जी गु़ड़गांव, हरियाणा में होगा। भारत इसके लिए जमीन देगा और सचिवालय के बुनियादी ढांचे के निर्माण व पांच साल के कामकाज के लिए 3 करोड़ डॉलर की रकम देगा। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से बचाव के लिए भारत के लक्ष्यों का भी खुलासा किया।
भारत ने रखे यह लक्ष्य
-2030 तक 30-35 फीसदी कार्बन उत्सर्जन कम करेंगे।
-2022 तक 100 गीगा वॉट सौर ऊर्जा उत्पादन करेंगे। मौजूदा क्षमता 4 गीगा वॉट। इस साल 12 गीगा वॉट और बढेगी।
सम्मेलन में मोदी ने यह कहा...
-हमारी वजह से नहीं बदली जलवायु। विकसित देश अधिक हैं जिम्मेदार।
-आबादी व धरती को अलग नहीं किया जा सकता।
-विकसित देश 2020 तक 100 अरब डॉलर का फंड बनाएं।
-विकसित देश विकासशील देशों को आगे बढ़ने का अवसर दें।
2 डिग्री तापमान की यह है गुत्थी
जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग के कारण धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में यह औसत 15.5 डिग्री सेंटीग्रेड है। इसे 17.5 डिग्री से ज्यादा यानी 2 डिग्री से ज्यादा नहीं बढ़ने देना सबसे बड़ी चुनाती है। तापमान इससे ज्यादा बढ़ा तो यह समूची दुनिया के लिए तबाही ला सकता है। विकासशील देशों अभी प्रगति से काफी दूर हैं। यानी उनमें कार्बन उत्सर्जन बढ़ना तय है। ऐसे में जहां विकसित देशों को अपना उत्सर्जन कम करना होगा, वहीं विकासशील देशों को भी उत्सर्जन कम करते हुए विकास करना होगा।
अमेरिका 10 साल में 26-28 फीसदी घटाएगा
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने घोषणा की कि उनका देश 10 साल में अपना कार्बन उत्सर्जन 26-28 फीसदी घटाकर 2005 के स्तर से नीचे लाएगा।
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