सोमवार से चार देशों के दौरे पर PM मोदी, ऐसे सधेगा रूस
पीएम मोदी की जर्मनी दौरे के साथ फ्रांस, रूस और स्पेन का भी दौरा करेंगे। जानकारों का कहना है कि ये एक अहम दौरा है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उतार-चढ़ाव का दौर चलता रहता है। दुनिया के सभी देश अपनी जरूरतों और समस्याओं को देखते हुए अपनी नीतियां बनाते हैं। पीएम मोदी की चार यूरोपीय देशों जर्मनी, स्पेन, रूस और फ्रांस की यात्रा को इस नजरिए से देखा जा सकता है। जर्मनी के साथ जहां भारत के संबंध हमेशा से बेहतरीन रहे हैं, वहीं स्पेन से भी संबंधों को मजबूती मिली है। फ्रांस में सत्ता परिवर्तन के बाद पीएम के दौरे को अहम माना जा रहा है। इसके अलावा रूस के साथ भारतीय संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के इरादे के साथ पीएम की यात्रा का खास महत्व है।
अपने कार्यकाल के तीन साल पूरा होने पीएम मोदी सोमवार से चार देशों-जर्मनी, स्पेन, रूस और फ्रांस के छह दिनी दौरे पर जा रहे हैं। दौरे के तीन देश सुरक्षा के स्थाई सदस्य हैं। और भारत इस क्लब में शामिल होने का दावा पेश करता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इन देशों को साथ लाना और भारत के लिए निवेश जुटाना एजेंडे में है।
जर्मनी के दौरे पर पीएम मोदी
29 मई को पीएम मोदी जर्मनी जा रहे हैं। वे जर्मन चांसलर एंजेला मार्कल से मुलाकात करेंगे और चौथे इंडिया-जर्मनी इंटरगवर्नमेंटल कंसल्टेंश आइजीसी में शामिल होंगे। दोनों देश द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर भी कर सकते हैं।
भारत- जर्मनी के आपसी संबंध
- जर्मनी और भारत के बीच कूटनीतिक साझेदारी 2000 से है। दोनों देश जी-4 के सदस्य है।
- यूरोपीय देशों में जर्मनी भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है।
- जर्मनी भारत में सातवां सबसे बड़ा निवेशक देश है।
- अप्रैल 2000 से मार्च 2017 तक 9.69 अरब डॉलर का निवेश हो चुका है।
- 2016 में 19.48 अरब डालर का कारोबार हुआ है।
- 14 हजार भारतीय छात्र जर्मनी में पढ़ रहे हैं। और जर्मनी के 800 छात्र भारत में पढ़ रहे हैं।
- दोनों देशों के बीच 150 संयुक्त शोध प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
- जर्मनी में 200 से अधिक कंपनियों के दफ्तर हैं। इन कंपनियों ने वहां सात अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
जानकार की राय
Jagran.com से खास बातचीत में पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी ने बताया कि भारत-जर्मनी के संबंधों को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अब तक जर्मनी भारत के साथ आर्थिक भागीदार रहा है। लेकिन अब वो सामरिक तौर पर भारत से जुड़ना चाहता है। ट्रंप से खराब होते रिश्ते के बाद जर्मनी को लगता है कि भारतीय महासागर में एक मजबूत साझीदार की जरूरत है, जिसके लिए भारत से बेहतर विकल्प नहीं हो सकता है। हाल ही में वन बेल्ट, वन रोड समिट में चीन ने जो आर्थिक मसौदा पेश किया था वो जर्मनी के हितों के खिलाफ था। इन परिस्थतियों में भारत एक अहम सहयोगी साबित हो सकता है।
30 मई को स्पेन में पीएम
30 मई की शाम को पीएम स्पेन के लिए रवाना होंगे। वे वहां राष्ट्रपति मारियानो राजॉय से मिलकर द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
दोनों देशों के बीच आपसी संबंध
- दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध 1956 से हैं।
- अप्रैल 2000 से दिसंबर 2016 तक 2.32 अरब डॉलर का निवेश है।
- 2016 में कारोबार 5.22 अरब डॉलर का रहा।
- 200 स्पैनिश कंपनियां भारत में और 40 से अधिक भारतीय कंपनियां स्पेन में कार्यरत हैं। भारतीय कंपनियों में आइटी और दवा क्षेत्र की कंपनियां प्रमुख हैं।
रूस के दौरे पर पीएम
एक और दो जून को पीएम रूस में होंगे। वे वहां 18वीं भारत-रूस वार्षिक बैठक और इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम में हिस्सा लेंगे। मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रक्षा सहयोग, आतंकवाद से जंग, अफगान मुद्दा और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर चर्चा करेंगे।
रूस के साथ भारत के संबंध
- दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध लंबे अर्से से हैं।
- राजनीति, रक्षा, परमाणु ऊर्जा आतंक रोधी अभियान, अतंरिक्ष अनुसंधान और आर्थिक विकास दोनों देशों की साझेदारी के प्रमुख मुद्दे हैं।
- 2016 में दोनों देशों के बीच 7.71 अरब डॉलर कारोबार हुआ।
- दिसंबर 2014 में दोनों देशों के प्रमुखों ने 20256 तक व्यापार को 30 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा।
- दोनों देशों के बीच ग्रीन कॉरिडोर परियोजना पर काम चल रहा है।
- रूस में भारतीय निवेश 13 अरब डॉलर और भारत में रूसी निवेश 16 अरब डॉलर है।
पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी ने Jagran.com से खास बातचीत में कहा कि आर्थिक तौर पर कमजोर होने के बाद भी रूस सैन्य क्षेत्र में आगे है। सैन्य सहयोग के मामले में रूस के साथ मिलकर भारत आगे बढ़ सकता है। रूस के साथ भारत वन बेल्ट, वन रोड के मुद्दे को भी उठा सकता है। ध्यान देने वाली बात ये है कि ओबोर के मुद्दे पर रूस में चीन का विरोध हो रहा है। इसके अलावा रूस में बड़ी मात्रा में कृषि के लिए जमीने हैं लेकिन मानव संसाधनों के चलते रूस उपयोग नहीं कर पा रहा है। भारत इस मामले में रूस की मदद कर सकता है, जो देनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।
फ्रांस के दौरे पर पीएम मोदी
पीएम मोदी दो और तीन जून को फ्रांस का दौरा करेंगे। वे वहां नए राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से मिलकर परमाणु सहयोग आतंकवाद और भारत में फ्रांसीसी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने पर चर्चा करेंगे।
फ्रांस के साथ आपसी संबंध
- 1998 में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक साझेदारी शुरू हुई। सुरक्षा, अंतरिक्ष, रक्षा मसले परमाणु सहयोग दोनों देशों के प्रमुख मुद्दे हैं।
- फ्रांस भारत का नौवां सबसे बड़ा निवेशक है।
- अप्रैल 2000 से जनवरी 2017 तक 5.55 अरब का निवेश है।
- 2016 में कारोबार 9.60 अरब डॉलर का रहा।
- भारत में एक हजार फ्रांसीसी कंपनियों में तीन लाख भारतीय काम करते हैं। सालाना टर्नओवर 20 अरब डॉलर का है।
- फ्रांस में 120 भारतीय कंपनियों में सात हजार लोग काम करते हैं।
- पांच हजार भारतीय छात्र वहां विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हैं।
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