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इसलिए पीएम मोदी ने लिया इन दोनों भाइयों का नाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में नासिक के दो भाइयों डॉक्टर हितेंद्र महाजन और डॉक्टर महेंद्र महाजन की जमकर तारीफ की। मोदी ने महाजन भाइयों के लिए कहा कि इन्होंने भारत का सम्मान बढ़ाया है। यह देश-दुनिया की प्रेरणा बने हैं।

By Sudhir JhaEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2015 08:21 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2015 09:02 PM (IST)
इसलिए पीएम मोदी ने लिया इन दोनों भाइयों का नाम

नई दिल्ली, जागरण डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' में नासिक के दो भाइयों डॉक्टर हितेंद्र महाजन और डॉक्टर महेंद्र महाजन की जमकर तारीफ की। मोदी ने महाजन भाइयों के लिए कहा कि इन्होंने भारत का सम्मान बढ़ाया है। यह देश-दुनिया की प्रेरणा बने हैं।

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दरअसल, हितेंद्र और महेंद्र महाजन ने कुछ ही सप्ताह पहले 'अक्रॉस अमेरिका' साइकिल रेस का खिताब जीता है। दोनों भाई इस प्रतियोगिता को जीतने वाले पहले भारतीय हैं। इस दौरान तीन हजार मील (लगभग 4800 किमी) से ज्यादा दूरी को उन्होंने आठ दिन, 14 घंटे और 55 मिनट में पूरा किया। पेशे से डॉक्टर रहते हुए भी अपने जुनून के दम पर उन्होंने यह खिताब जीता। इसके लिए दोनों ने करीब 23.30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से साइकिल चलाई।

हितेंद्र की उम्र 44 और महेंद्र की उम्र 39 साल है। इन दोनों ने यह रेस दो टीमों के वर्ग में पूरी की। इस वर्ग में तीन और टीमें रेस पूरा ही नहीं कर पाई। हितेंद्र एनिस्थियोलॉजिस्ट जबकि महेंद्र डेंटिस्ट हैं। इस रेस में दुनियाभर की 130 टीमों ने हिस्सा लिया।

दुनिया की सबसे कठिन साइकिल रेस

इस रेस को दुनिया की सबसे कठिन साइकिल रेस माना जाता है। हितेंद्र-महेंद्र की जोड़ी ने टीम इवेंट में भाग लिया, जबकि बेंगलुरु के शमीम रिजवी और अलीबाग के सुमित पाटिल ने सोलो इवेंट में भाग लिया। टीम इवेंट के लिए नौ दिन की समय सीमा होती है, जबकि सोलो इवेंट के लिए 12 दिन। इस दौरान रेगिस्तानी क्षेत्र से भी गुजरना पड़ता है। महाजन ब्रदर्स कल्पतरु फाउंडेशन के 'टीम इंडिया : विजन फॉर ट्राइबल्स' से जुड़े हुए हैं। इस रेस में दुनिया के कोने-कोने से प्रतियोगी भाग लेते हैं। रेस अमेरिका के पश्चिमी किनारे से शुरू होकर कोस्ट रेंज, इम्पीरियल ड्युन्स, मॉन्युमेंट वैली से होते हुए पूर्वी किनारे पर खत्म होती है। यह रेस केवल चार प्रतियोगियों के साथ 1982 में शुरू हुई थी।

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