Move to Jagran APP

भारतीय ने बनाया प्लास्टिक से डीजल तैयार करने वाला चलता-फिरता रिएक्टर

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम के मुताबिक, विभिन्न महासागरों में सालाना 80 लाख टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा बहाया जाता है। यह औसतन हर मिनट कचरे का एक ट्रक महासागर में खाली करने जैसा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 04 Apr 2017 03:20 PM (IST)Updated: Tue, 04 Apr 2017 04:01 PM (IST)
भारतीय ने बनाया प्लास्टिक से डीजल तैयार करने वाला चलता-फिरता रिएक्टर
भारतीय ने बनाया प्लास्टिक से डीजल तैयार करने वाला चलता-फिरता रिएक्टर

बेंगलुरु, आइएएनएस। प्लास्टिक कचरे को ईधन में बदलने वाला चलता-फिरता रिएक्टर तैयार हो गया है। जल्द ही कैलिफोर्निया में इसे प्रदर्शित किया जाएगा। इस तकनीक को भारत में जन्मे रसायनशास्त्री स्वामीनाथन रमेश ने विकसित किया है।

loksabha election banner

रमेश बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के छात्र रहे हैं और वर्तमान में मिशिगन स्थित कंपनी इकोफ्यूल टेक्नोलॉजीज के प्रमुख हैं। उनकी कंपनी ने क्लीन ओशियंस इंटरनेशनल के संस्थापक जेम्स होम के साथ मिलकर प्लास्टिक से ईधन (पीटीएफ) तकनीक आधारित संयंत्र को विकसित किया है।

रमेश प्लास्टिक कचरे का बाजार तैयार कर दुनिया को इससे मुक्त कराना चाहते हैं। उन्होंने तीन अप्रैल को सैन फ्रांसिस्को में अमेरिकन केमिकल सोसायटी की 253वीं राष्ट्रीय बैठक में अपनी तकनीक का प्रदर्शन किया। प्लास्टिक को तोड़कर हाइड्रोकार्बन आधारित ईधन बनाने की 'पायरोलिसिस' तकनीक पहले से उपलब्ध है, लेकिन इसकी प्रक्रिया बेहद जटिल है।

रमेश ने 'मेटलोसीन' उत्प्रेरक की मदद से इस प्रक्रिया को आसान कर दिया है। इस तकनीक में प्लास्टिक से ईधन बनाने की प्रक्रिया सरल और किफायती हो जाती है। यह संयंत्र कम तापमान पर काम करता है और इसे आसानी से एक से दूसरे स्थान पर ले जाना संभव है। एक रिएक्टर रोजाना 100 से 10,000 पौंड तक प्लास्टिक को ईधन में बदल सकता है। इनकी मदद से सालाना दो से पांच करोड़ बैरल तक ईधन बनाया जा सकता है।

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोग्राम के मुताबिक, विभिन्न महासागरों में सालाना 80 लाख टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा बहाया जाता है। यह औसतन हर मिनट कचरे का एक ट्रक महासागर में खाली करने जैसा है। इस दर से 2050 में महासागरों में फेंके गए प्लास्टिक कचरे का वजन सभी मछलियों के कुल वजन से भी ज्यादा हो जाएगा। महासागरों में प्लास्टिक कचरा फेंकने के मामले में भारत अग्रणी देशों में है। हालांकि, रमेश ने बताया कि अब तक भारत की ओर से किसी एजेंसी ने उनसे इस तकनीक को लेकर संपर्क नहीं किया है।

इसे भी पढ़ें: ये छलनी है कुछ खास, पीने लायक बन जाता है समुद्री पानी 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.