लद्दाख की ऊंची चोटियों पर कब्जा करना चाहता है चीन, रेजांग ला में थी सुनियोजित साजिश!
पूर्वी लद्दाख में चीन की तरफ से जो करतूत दोबारा हुई है वो उनकी सुनियोजित साजिश हो सकती है। इसका मकसद वहां की ऊंची चोटियों पर कब्जा करना है।
नई दिल्ली (एजेंसियां)। भारतीय चीन सीमा पर 45 वर्षों में पहली बार गोलियां चली हैं। चीन के सैनिक सोमवार को भारतीय सीमा के अंदर पूर्वी लद्दाख रेजांग-ला रिज लाइन के मुखपारी क्षेत्र में घातक हथियारों के साथ घुसे और गोलियां चलाईं। इससे पहले एलएसी पर गोली चलने की घटना 1975 में हुई थी। यही वजह है कि ये घटना गलवान घाटी से भी ज्यादा बड़ी हो गई है। मीडिया में जो चीनी सैनिकों की तस्वीरें आई हैं उनमें उनके हाथों में घातक हथियार दिखाई दे रहे हैं। ये घटना सोमवार शाम छह बजे की है जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के लगभग 50-60 सैनिक पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट की तरफ स्थित भारतीय चौकी की तरफ बढ़े थे। वहां पर मौजूद भारतीय सेना के जवानों ने उनका मजबूती के साथ सामना किया, जिसकी वजह से उन्हें मजबूरन वापस हटना पड़ा। इस घटना की गंभीरता इस वजह से भी बढ़ गई है क्योंकि तीन दिन पहले ही मास्को में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के अपने समकक्ष मंत्री से आमने-सामने की बैठक की थी। इसमें भारत का चीन के प्रति कड़ा रुख सामने आया था।
आपको बता दें कि 15 जून को चीन के सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में गलवन घाटी में हुई झड़प के दौरान पत्थरों, कील लगे डंडों, लोहे की छड़ों से भारतीय सैनिकों पर हमला किया था। इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के इससे कहीं ज्यादा जवान मारे गए गए थे, जिनका खुलासा कभी चीन की तरफ से नहीं किया गया। अमेरिका खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इस झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए थे। पीटीआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि मुमकिन है कि सोमवार को जो कुछ सीमा पर घटा वो चीन की सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो। खबर के मुताबिक हो सकता है कि चीन की सेना ने योजना बनाई हो कि सोमवार शाम भारतीय सेना को गलवान घाटी जैसी ही किसी झड़प में फंसाया जाए।
सोमवार को रेजांग ला में चीन के सैनिक लोहे की छड़, भाले और गुआनदाओ जैसे हथियारों के साथ दाखिल हुए थे। गुआनदाओ का इस्तेमाल मार्शल आर्ट के दौरान भी किया जाता है। इसके किनारे पर एक धारदार ब्लेड होता है। जब भारतीय जवानों ने उन्हें वापस जाने को मजबूर किया, तो उन्होंने भारतीय सैनिकों को डराने के लिए हवा में 10-15 गोलियां चलाईं। एएनआई ने कहा है कि बीते तीन-चार दिन से पीएलए की नजर सीमा की ऊंचाई वाली रणनीतिक रूप से अहम चोटियों पर कब्जा करने की है। चीन के सैनिकों ने सोमवार को उस बाड़ को भी तोड़ दिया जिसको भारतीय सैनिकों ने इस क्षेत्र में लगाया था। मोल्डो क्षेत्र स्थित प्रमुख चीनी संरचनाओं के सामने पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी तट के आसपास रणनीतिक चोटियों पर भारत की स्थिति मजबूत बनी हुई है।
भारतीय सेना की तरफ से कहा गया है कि पीएलए दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का उल्लंघन कर रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना से लद्दाख में एलएसी पर पूरी तरह से चौकस रहने को कहा है। चीनी की तरफ से भारत पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सोमवार को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के पास हवा में गोलियां चलाईं। बीजिंग में प्रेस को जानकारी देते हुए प्रवक्ता झाओ ने कहा कि टकराव वाली जगह से उनके सैनिक वापस आ गए हैं। जब उनसे चीनी सैनिकों द्वारा गोलियां चलाए जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि चार हजार मीटर की ऊंचाई पर किसी के लिए भी ठंड में बने रहना मुश्किल होता है। ठंड के दिनों में इस क्षेत्र में तापमान शून्य से 30 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है उन्होंने उम्मीद जताई कि बातचीत के जरिए इसका समाधान तलाश लिया जाएगा। वहीं भारत हमेशा से ही टकराव छोड़कर बातचीत का समर्थन करता रहा है। भारत की तरफ से ये भी कहा जा चुका है कि दोनों देशों के संबंध काफी कुछ सीमा पर शांति पर निर्भर करते हैं।