भ्रष्टाचार के मामले में फोन टैपिंग का अधिकार : सीबीआइ
आंध्रप्रदेश सरकार के अधिकारियों ने तेलंगाना के अपने समक्षक अधिकारियों पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया है। अधिकारियों ने कहा कि गैरकानूनी तरीके से मुख्यमंत्री, विधायकों के फोन टैप किए जा रहे हैं। इस मामले में जांच अधिकारियों ने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी मामलों में पुलिस किसी का भी फोन
हैदराबाद। आंध्रप्रदेश सरकार के अधिकारियों ने तेलंगाना के अपने समक्षक अधिकारियों पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया है। अधिकारियों ने कहा कि गैरकानूनी तरीके से मुख्यमंत्री, विधायकों के फोन टैप किए जा रहे हैं। इस मामले में जांच अधिकारियों ने कहा कि भ्रष्टाचार विरोधी मामलों में पुलिस किसी का भी फोन टैप कर सकती है।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीआइ के जासूस लंबे समय से फोन टैंपिंग कर रहे हैं। जांच अधिकारियों ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में फोन टैप करना पुलिस के दायरे में आता है। इसे सबूत के तौर पर अदालत में भी पेश किया जा सकता है।
सीबीआइ के एक अधिकारी ने बताया कि भ्रष्टाचार विरोधी मामलों में एंटी करप्शन डिविजन फोन टैप करती है। कोर्ट में किसी आरोपी के खिलाफ सुनवाई के दौरान इन रिकार्डिंग को पेश किया जाता है। ऐसे ही एक मामले में केंद्र सरकार की अनुमति लेने के बाद 2014 में सिंडीकेट बैंक के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर एसके जैन का फोन टैप किया गया था।
आरोपी सीएमडी एक प्राइवेट फर्म की क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के लिए 50 लाख रुपए की घूस मांग रहे थे। तत्कालीन सीबीआइ निदेशक आइपीएस अधिकारी रंजीत सिन्हा ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार से इजाजत लेने के बाद जैन का फोन टैप किया गया था।
सीबीआइ अधिकारियों ने बताया कि राज्य की एसीबी भी जरूरत पड़ने पर आरोपी या शिकायतकर्ता का फोन टैप कर सकता है। इस तरह जुटाए गए सबूत को कोर्ट में स्वीकार किया जाता है। आपातकालीन मामलों में जब फोट टैपिंग की इजाजत लेने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता है, तब सर्विस प्रोवाइडर को लिखित में दे दिया जाता है कि केंद्रीय गृह सचिव से 15 दिनों के अंदर इजाजत ले ली जाएगी।
पढ़ेंः वीरभद्र सिंह पर कसा शिकंजा, प्रारंभिक जांच का केस दर्ज