गोमूत्र से बना कीटनाशक करेगा कीटों का नाश
महंगे पेस्टीसाइड की तुलना में गोमूत्र से बना कीटनाशक बहुत सस्ता फसलों के लिए जैविक कीटनाशक बना वरदान...
मोगा (विनय शौरी)। फसलों को रसायनिक कीटनाशकों से बचाने के लिए मोगा जिले की गोपाल गोशाला ने गोमूत्र से जैविक कीटनाशक तैयार किया है। गोमूत्र से तैयार कीटनाशक का फसल, पर्यावरण और स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव नहीं है। गोमूत्र से तैयार देसी कीटनाशक फसल को बचाने में इतना कारगर साबित हो रहा है कि अब किसान भी इसी का प्रयोग करने लगे हैं। इसकी मांग भी तेजी से बढ़ने लगी है। गोपाल गोशाला कमेटी के सीनियर सदस्य एसके बांसल के अनुसार देसी नस्ल की गाय का गोमूत्र अन्य नस्लों की गायों की तुलना में सबसे गुणकारी होता है। गोशाला में गोमूत्र को इकट्ठा करने का ठेका उन्होंने अपने की कुछ कर्मचारियों को दिया है। गोमूत्र इकट्ठा करने के बाद उससे कीटनाशक बनाने में उन्हें चार रुपये प्रति लीटर खर्च उठाना पड़ता है। हर रोज गोशाला से 30 से 40 लीटर गोमूत्र इकट्ठा किया जाता है।
गोमूत्र से तैयार कीटनाशक की कोई दुर्गंध नहीं आती है। इसके छिड़काव के बाद फसल या फलों पर कीट भी नहीं बैठते हैं। गोमूत्र पौधों को कीट से बचाने के साथ-साथ पौधे की जड़ में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाता है, जिससे उसे बढ़ने में सहायता मिलती है।
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के प्रो. डॉ. एसके खहरा रसायनिक खादों की जगह गोमूत्र से तैयार किए गए कीटनाशक और खाद को बेहद कारगर बता रहे हैं। उनका कहना है कि यदि सभी किसान जैविक कीटनाशक और खाद का प्रयोग शुरू कर दें तो आने वाले समय में पंजाब की जमीन बंजर होने से बच सकती है।
धान रोपाई से पहले खेत में डालें गोबर व गोमूत्र : गोशाला के संचालकों का कहना है कि अगर किसान धान की रोपाई से पहले गोमूत्र और जैविक खाद खेत में बिछा दें और उसके बाद खेत में हल चलाएं तो उन्हें अच्छी पैदावार मिलेगी। धान की रोपाई से पहले पानी छोड़ दें इससे गोमूत्र और खाद खेत के हर हिस्से तक पहुंच जाएंगे।
महज 40 रुपये लीटर में उपलब्ध : बाजार में उपलब्ध रसायनिक कीटनाशकों की कीमत बाजार में 250 से 350 रुपये लीटर तक उपलब्ध है, जबकि गोमूत्र से तैयार कीटनाशक महज 40 रुपये लीटर मिल रहा है। यह कीटनाशक अभी पहले फेज में गोशाला में ही बेचा जाता है। लोग वहीं आकर इसे खरीदते हैं।
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