J&K: BSF कैंप के आसपास के लोगों का दावा, राशन के खेल में शामिल हैं अफसर
जम्मू-कश्मीर में बीएसएफ के कैंपों के पास रहने वाले लोगों ने दावा है कि कुछ अधिकारी उन्हें ईंधन और राशन बाजार से आधे कीमत पर बेचते हैं।
श्रीनगर (जेएनएन)। बीएसएफ के जवान तेजबहादुर द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो से हंगामा खड़ा हो गया है। हालांकि बीएसएफ ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि ये एक संवेदनशील मामला है और मामले की जांच करने के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ एक नई बात सामने आई है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक अर्धसैनिक बलों, विशेषकर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के कैंपों के पास रहने वाले लोगों का दावा है कि कुछ अधिकारी उन्हें ईंधन और राशन बाजार से आधे कीमत पर बेचते हैं। बीएसएफ जवान के आरोपों के बाद बीएसएफ ने कहा है कि जवानों के आहार से संबंधित मुद्दे, राशन खरीद प्रक्रियाओं पर उठा सवालिया निशान चिंता का विषय। स्थिति की समग्र दृष्टिकोण जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की टीम गठित की गई है। प्रक्रियात्मक और व्यवस्थित सुधार के साथ सतर्कता विभाग मामले की डबल जांच करेगा।
बीएसएफ के 29वीं बटालियन के जवान तेज बहादुर यादव ने अपने विडियो में इस बात का जिक्र करते हुए दावा किया था कि सरकार राशन का पर्याप्त सामान भेजती है मगर अधिकारी सामान को सैनिकों तक नहीं पहुंचने देते और बाहर ही बेच देते हैं।
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श्रीनगर एयरपोर्ट के नजदीक हुमहमा बीएसएफ हेडक्वॉर्टर के आसपास रहने वाले कुछ स्थानीय लोगों के अनुसार बीएसएफ के अधिकारियों द्वारा आसपास रहने वाले दुकानदारों को सामान और ईंधन बेचा जाता है। अपनी पहचान ना उजागर करने की शर्त पर एक बीएसएफ जवान ने बताया, 'ये अधिकारी स्थानीय बाजारों में दाल और सब्जी जैसे खाद्य पदार्थों को कैंप के बाहर स्थानीय लोगों को सस्ते दामों पर बेच देते हैं। यहां तक हमें हमारी दैनिक उपयोग की चीजें भी नहीं मिल पातीं और वे इन्हें बाहर अपने एजेंट्स के माध्यम से बाजार में बेच देते हैं।'
एक सिविल ठेकेदार ने बताया, 'हुमहमा कैंप के कुछ अधिकारियों से हमें बाजार से आधे दामों पर डीजल और पेट्रोल प्राप्त हो जाता है। इसके अलावा चावल, मसाले, दाल जैसी चीजें भी बेहद कम दामों में मिल जाती हैं।'
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एक स्थानीय फर्नीचर डीलर ने बेहद चौंकाने वाला दावा करते हुए बताया, 'ऑफिस और अन्य सरकारी कार्यों के लिए फर्नीचर खरीदने आने वाले अधिकारी हमसे इतना कमीशन लेते हैं जो हमारे मुनाफे से भी ज्यादा होता है। बीएसएफ में ई-टेंडरिंग जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। अधिकारी आते हैं, अपना कमीशन लेकर फर्नीचर खरीद लेते हैं। यहां तक की उन्हें फर्नीचर की गुणवत्ता से भी कोई मतलब नहीं होता है।'
सीआरपीएफ के कुछ अधिकारियों का भी यही हाल है। श्रीनगर में एक महीने पहले तक बतौर प्रशासनिक महानिरीक्षक के पद पर तैनात रहे सीआरपीएफ के आईजी रविदीप सिंह साही ने बताया कि अगर आपूर्ति में किसी भी प्रकार की अनियमिता पाई जाती है तो इसकी जांच की जाएगी।