पहल से हाथ मिले, फिर खुशहाली की राह पर चले
महिलाओं को हुनरमंद बना रहे वालंटियर्स...
जालंधर (ब्युरो)। पहल एनजीओ ने एक सराहनीय पहल की महिलाओं को सशक्त करने की और अब उसके साथ हाथ मिलाकर काफी संख्या में महिलाएं खुशहाली की राह पर कदम बढ़ा रही हैं। जालंधर और कपूरथला के गांवों में जाकर एनजीओ के वालंटियर्स ट्रेनिंग कैंप लगाते हैं, जिनमें महिलाओं को कोई ना कोई हुनर सिखाया जाता है। संस्था गरीब परिवारों व जरूरतमंद बच्चों के लिए भी काम करती है।
पहल एनजीओ के लियाकतबीर सिंह ने बताया कि पहले हम गांवों की महिलाओं को इकट्ठा करके उनको सेविंग के बारे में बताते थे। उन्हें जागरूक करते थे कि किस तरह वे अपने हाथों के हुनर से घर चलाने के लिए पैसा कमा सकते हैं। चार साल पहले हमने नाबार्ड नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर व रूरल डवलपमेंट के सहयोग से गावों में जाकर महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचसी) बनाने की शुरुआत की थी। अब तक 400 के करीब एसएचजी बनाए गए हैं। हमारे साथ चार हजार के करीब महिलाएं जुड़ गई हैं। ये वे महिलाएं हैं, जो आर्थिक तौर पर बहुत कमजोर थीं, लेकिन इनके पास हुनर है। हालांकि पहले ये ना कहीं बाहर आती जाती थीं और ना ही किसी से मिलती थीं। हमने हरेक से बात की व उनके हुनर के बारे में जाना। उन्हें बढ़ावा दिया।
हम हर गांव में साबुन बनाने, डिटरजेंट पाउडर बनाने की भी 15 दिनों की ट्रेनिंग देते हैं, ताकि वे खुद बनाकर अपने प्रोडक्ट्स बेच सकें। हाल ही में हमने पठानकोट चौक के पास एक शॉप भी खोली है, जिसमें महिलाओं के हाथों से बना सामान डिस्पले किया, ताकि महिलाओं को एक प्लेटफार्म मिल सके। उन्होंने कहा कि उनके साथ तीन कोआर्डिनेटर गुलशन कुमार, नीलू व कुलविंदर कौर जुड़े हुए हैं। वे गांवों में जाकर महिलाओं से बात करती हैं। जल्लोवाल गांव की 41 वर्षीय नीलू ने बताया कि हमें 15 दिन के ट्रेनिंग कैंप में डिटरजेंट पाउडर बनाना सिखाया गया। मेरे हसबैंड दिल के मरीज हैं व मैं घर में अपनी दुकान चलाती हूं। मेरे साथ आसपास की महिलाओं ने भी सर्फ बनाना सीखा। धीरे- धीरे हम अपना बिजनेस बढ़ा रही हैं। अभी तक मैं खुद बनाकर 3 क्विंटल तक सर्फ बेच चुकी हूं।
सर्फ व वाल हैंगिंग बनाना व बेडशीट डाई करना सिखाते हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप से चार हजार महिलाओं को कर चुके सशक्त।
-पूजा सिंह
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