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कुलभूषण जाधव केस: जानें वो घटनाएं जब ICJ में फांसी पर रोक की लगी गुहार

कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान को इंटरनेशनल कोर्ट से करार झटका लगा है। अदालत ने पाक की दलील ठुकराते हुए जाधव की फांसी पर रोक लगा दी है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Thu, 18 May 2017 03:31 PM (IST)Updated: Fri, 19 May 2017 02:55 PM (IST)
कुलभूषण जाधव केस: जानें वो घटनाएं जब ICJ में फांसी पर रोक की लगी गुहार

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। कुलभूषण जाधव केस में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है। अंतिम फैसला आने तक अदालत ने कुलभूषण की फांसी पर रोक लगा दी है। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने पाक की दलीलों को नकारते हुए कहा कि पाकिस्तान का ये दावा सही नहीं है कि जाधव जासूस थे। पाकिस्तानी की मिलिट्री कोर्ट से फांसी की सज़ा कथित तौर पर जासूसी और विध्वंसकारी साजिशें रचने के आरोप में फांसी की सज़ा पा चुके भारत के पूर्व नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव पर द इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) ने फैसला सुनाया।

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भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जाधव का कांसुलए एक्सेस ना देकर इसे विएना संधि यानि विएना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेंशस (वीसीसीआर) का सरासर उल्लंघन करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र के न्यायिक अंग आईसीजे से फौरन हस्तक्षेप की मांग की है। अतीत की कुछ वो घटनाएं जब अपने देश के नागरिकों की फांसी की सज़ा रोकने के लिए उन देशों ने आईसीजे में इंसाफ की गुहार लगाई-

LaGrand Case (जर्मनी वर्सेज यूनाइटेड स्टेट्स)

7 जनवरी 1982 को जर्मन नागरिक कार्ल हेनिज और वाल्टर बर्नार्ड अमेरिका के मराना, अरिजोना में हथियारों के बल पर लूटपाट की वारदात (आर्म्ड रॉबरी) केस में संलिप्त पाए गए। उन्हें एक शख्स को जान से मारने और एक महिला को गंभीर रूप से घायल करने के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई गई।

जर्मनी ने अपने नागरिकी को फांसी दिए जाने से कुछ हफ्ते पहले नीदरलैंड स्थित द हेग अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में जाकर फांसी पर रोक की गुहार लगाई। लेकिन, अमेरिका ने कार्ल हेनिज जानलेवा इंजैक्शन देकर 24 फरवरी 1999 को मार दिया जबकि एक हफ्ते बाद बर्नार्ड को भी एक चैंबर में फांसी पर लटका दिया। साल 2001 में आईसीज ने अमेरिका की दलीलों को ठुकराते हुए जर्मनी में पक्ष में अपना फैसला सुनाया।

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अवेना केस (मैक्सिको वर्सेज अमेरिका)

मैक्सिको के 54 नागरिक को अमेरिका में फांसी की सज़ा सुनाए जाने के बाद 9 जनवरी 2003 को विएना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेंशस (वीसीसीआर) के उल्लंघन का आरोप लगाकर मैक्सिको पूरे मामले को आईसीजे ले गया। मैक्सिकों ने कोर्ट में गुहार लगाते हुए कार्ल हेनिज और वाल्टर बर्नार्ड केस का हवाला देकर कहा कि जब तक मामले पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता है फांसी की सज़ा पर रोक लगाई जाए।

सीजर रोबर्टो फिएरो रेयना, रोबर्टो मोरेनो रामोज और ओसवाल्ड टोर्रेस अगुईलेरा ये सभी उन लोगों में शामिल थे जिनके खिलाफ फांसी की सज़ा का मैक्सिकों ने जोरदार विरोध किया था।

आईसीजी ने अपने निष्कर्ष में यह कहा कि 51 लोगों मे से रेयाना, रामोज और अगुइलेरा को छोड़कर बाकियों के केसे में अमेरिका ने वीवीसीआर के प्रावधान का उल्लंघन किया है। लेकिन, मामला सिर्फ वहीं नहीं रुका और अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यूएस कांग्रेस ने वीवीसीआर उल्लंघन में कानून का सही तरीके से पालन नहीं किया।


आईसीजे के खिलाफ यूएनएससी जाने का है विकल्प

अंतरराष्ट्रीय अदालत आईसीजे के फैसले के खिलाफ पार्टियां संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाती रही है। 1986 में निकारागुआ ने अपने यहां विद्रोहियों को समर्थन देकर देश को अस्थिर करने के लिए अमेरिका के खिलाफ आईसीजे में इंसाफ की गुहार लगाई। आईसीजे ने अमेरिका के खिलाफ फैसला दिया। जिसके बाद अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ से उस फैसले के खिलाफ अपील की।

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