अध्यक्ष जी! अब इम्तहान आपका
लखनऊ [आनन्द राय]। यूपी में दो चरणों के मतदान के बाद अब निगाहें 'नेतृत्व' यानी पार्टी के अध्यक्षों पर टिकी हैं। आने वाले चरणों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह व सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का इम्तहान है।
लखनऊ [आनन्द राय]। यूपी में दो चरणों के मतदान के बाद अब निगाहें 'नेतृत्व' यानी पार्टी के अध्यक्षों पर टिकी हैं। आने वाले चरणों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह व सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का इम्तहान है।
सोनिया गांधी रायबरेली, राजनाथ सिंह लखनऊ और मुलायम सिंह यादव मैनपुरी और आजमगढ़ में मुकाबिल हैं। इन क्षेत्रों में नेतृत्व की प्रतिष्ठा सीधे दांव पर लगी होने से उनके कार्यकर्ता बेहद सक्रिय हैं और उनकी साख भी कसौटी पर है। साम, दाम, दंड और भेद के बीच पूरी ताकत से लड़े जा रहे इन चुनावों में पूरे देश की दिलचस्पी है और सच यह भी है कि देश की सियासी दिशा तय करने में इनके परिणाम होंगे।
सोनिया गांधी / रायबरेली मतदान: 30 अप्रैल
घोटालों की गूंज, महंगाई रोकने में असफलता और देश में संप्रग सरकार के प्रति उपजे असंतोष के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी अपनी परंपरागत सीट रायबरेली से एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। भाजपा के आक्रामक तेवर के बीच मतदाताओं से उनके रिश्ते और विश्वास की परीक्षा होगी। अपने पति पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के करीब सात वर्ष बाद सक्रिय राजनीति में आईं सोनिया गांधी ने 1998 में अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान संभाली थी। 1999 के लोकसभा चुनाव में वह अमेठी और कर्नाटक के बेल्लारी से चुनाव लड़ीं और जीत गईं। उन्होंने बेल्लारी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 2004 व 2009 में रायबरेली से चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की। इसके पहले सोनिया गांधी ने 2006 में विपक्ष के आरोपों पर लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उप चुनाव में वह फिर जीतीं। इस बार रायबरेली में सोनिया के मुकाबले सपा ने उम्मीदवार नहीं उतारा है, जबकि बसपा से प्रवेश सिंह, भाजपा से अजय अग्रवाल और 'आप से अर्चना श्रीवास्तव मैदान में हैं।
मुलायम सिंह यादव
मैनपुरी / आजमगढ़
मतदान: 24 अप्रैल और 12 मई
यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री और केंद्र में रक्षामंत्री रह चुके समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के लिए जीत-हार के सवाल नहीं खड़े होते। लेकिन इस बार कुछ नये सवाल खड़े हैं। तीसरे मोर्चा का, उनके पीएम बनने के मंसूबे का और प्रदेश में सपा सरकार के दो साल के कामकाज का। 45 साल से सक्रिय राजनीति में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहे मुलायम सिंह यादव विधायक तो साठ के दशक में ही बन गए, लेकिन 1996 में पहली बार मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव जीते। 1998 में मुलायम संभल से चुनाव लड़े और जीते। 1999 में मुलायम ने संभल और कन्नौज से दांव आजमाया और दोनों सीटें जीत ली। वर्ष 2004 में मुलायम ने लगभग आठ साल बाद फिर से अपनी पुरानी सीट मैनपुरी का रुख किया और चुनाव जीता। तब से यहां जीत रहे हैं। मुलायम यह चुनाव जीते तो लोकसभा में उनकी दूसरी हैट्रिक होगी। मैनपुरी में उनके खिलाफ कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं दिया है। भाजपा से एसएस चौहान, 'आप' से बाबा हरदेव सिंह और बसपा से संघमित्रा मौर्य हैं, जबकि आजमगढ़ में कांग्रेस से अरविन्द जायसवाल, भाजपा से सांसद रमाकांत यादव और बसपा से शाह आलम उर्फ गुडडू जमाली मैदान में हैं।
राजनाथ सिंह/लखनऊ
मतदान: 30 अप्रैल
उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री के बाद मुख्यमंत्री तथा अटल सरकार में दो बार मंत्री रह चुके राजनाथ सिंह दूसरी बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं। वह इस बार लखनऊ से मुकाबिल हैं और उनकी जीत को समर्थक निश्चित रूप से यूपी की सफलता से जोड़कर देखना चाहेंगे। प्रतिष्ठा इसलिए भी फंसी है क्योंकि इससे पहले लखनऊ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का क्षेत्र रहा है। यहां का चुनाव राजनाथ के राजनीतिक फलक को नया विस्तार देगा। राजनाथ का राजनीतिक सफर विद्यार्थी परिषद से शुरू हुआ और 1977 में वह विधायक चुने गए। विधान परिषद और विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके राजनाथ सिंह दो बार राज्यसभा का भी सदस्य रह चुके हैं। राजनाथ ने पहली बार 15वीं लोकसभा में गाजियाबाद से विजयश्री हासिल की। पेशे से शिक्षक राजनाथ सिंह के सियासी जीवन की सबसे कठिन परीक्षा इस बार होनी है, क्योंकि उनके खिलाफ कांग्रेस से पार्टी की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा, सपा से मंत्री अभिषेक मिश्र, बसपा से प्रदेश के पूर्व मंत्री नकुल दुबे और आप से अभिनेता जावेद जाफरी चुनाव मैदान में हैं।
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