निठारी कांड में पंधेर और कोली को फिर मिली फांसी की सजा
निठारी कांड के एक मामले में दोषी ठहराए गए मोइंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को सीबीआइ कोर्ट ने फिर फांसी की सजा सुनाई है।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद : नोएडा के निठारी कांड के एक मामले में दोषी ठहराए गए मोइंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को सीबीआइ कोर्ट ने फिर फांसी की सजा सुनाई है। खुली अदालत में फैसला सुनाते हुए सीबीआइ कोर्ट के विशेष जज पवन कुमार तिवारी ने सुरेंद्र कोली और मोइंदर सिंह पंधेर को मृत्युदंड की सजा व क्रमश: 35 हजार व 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। निठारी कांड में यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें नौकर व मालिक को साथ-साथ फांसी की सजा हुई है।
हालांकि पहले मामले में हाई कोर्ट ने पंधेर को बरी कर दिया था। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुरेंद्र कोली को आठवें मामले में मौत की सजा सुनाई गई है। कोली अभी आठ और मामले में आरोपी है, जबकि पंधेर पर तीन मामले लंबित हैं। शनिवार को सीबीआइ कोर्ट ने निठारी कांड के एक मामले में मोइंदर सिंह पंधेर और सुरेंद्र कोली को दोषी करार देते हुए फैसले के लिए 24 जुलाई मुकर्रर की थी।
पुलिस ने सोमवार सुबह 11 बजे सुरेंद्र कोली व मोइंदर सिंह पंधेर को डासना जेल से सीबीआइ कोर्ट में पेश किया। सजा पर जिरह के बाद 114 पेज के फैसले में अदालत ने दोपहर 1.10 बजे दोनों को सजा सुनाते हुए कहा कि सभ्य समाज के लिए दोनों कलंक बन चुके हैं। दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी के अपराध में मृत्युदंड दिया जाना न्यायहित में है। फैसले से पहले सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक जेपी शर्मा व पीडि़ता के अधिवक्ता खालिद खान दोनों को फांसी दिए जाने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी का होने का तर्क दिया। वहीं पंधेर के अधिवक्ता देशराज ने मुवक्किल की बीमारी और आठ साल जेल में रहने का हवाला देते हुए कम से कम सजा की मांग की। उधर, फैसले से आक्रोशित सुरेंद्र कोली ने कहा कि उसके साथ अन्याय हुआ है। अभियोजन पक्ष केस साबित नहीं कर सका है।
किस मामले में सजा निठारी गांव में रहकर पश्चिम बंगाल की बहरामपुर निवासी 20 वर्षीय युवती सेक्टर 37 में एक कोठी में घरेलू सहायिका थी। वह रोजाना निठारी के डी-5 कोठी के सामने से गुजरती थी। पांच अक्टूबर 2006 को कोठी में काम करने गई थी, लेकिन वापस नहीं आई। उसके पिता ने गुमशुदगी की तहरीर दी थी। पुलिस ने 30 दिसंबर को नोएडा के सेक्टर-20 थाने में हत्या का मामला दर्ज किया। 10 जनवरी 2007 को केस सीबीआइ में ट्रांसफर हो गया। सीबीआइ ने 11 जनवरी 2007 को पंधेर व कोली के खिलाफ युवती के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का मुकदमा दर्ज किया। 11 अप्रैल 2007 को चार्जशीट पेश की।
मोइंदर पंधेर नहीं, अब कैदी नंबर 522
मोइंदर सिंह पंधेर का नया पता अब कोठी नंबर डी-5 नहीं, बल्कि डासना जेल है। यहां भी उसे मोइंदर सिंह पंधेर नहीं, कैदी नंबर 522 के नाम से जाना जाएगा। सीबीआइ कोर्ट से सजा सुनाने के बाद पंधेर व कोली को शाम छह बजे डासना जेल लाया गया। यहां दोनों का मेडिकल परीक्षण हुआ, इसमें दोनों का परीक्षण सामान्य आया। जेल सूत्रों के मुताबिक, जेल में आने के बाद कोली के चेहरे पर लेस मात्र भी शिकन नहीं थी, जबकि पंधेर काफी ङ्क्षचतित दिखाई दिया।
इन धाराओं में हुई सजा कोली को आठवें मामले में फांसी
धारा - अपराध - सजा - जुर्माना 302 - हत्या - मृत्युदंड -10,000३364 - अपहरण - आजीवन - 10,000376/511 - दुष्कर्म व दुष्कर्म का प्रयास-10 वर्ष -10,000201 - साक्ष्य मिटाना - सात वर्ष - 5,000
पंधेर को दूसरे मामले में फांसी
धारा - अपराध - सजा - जुर्माना 302- हत्या - मृत्युदंड -10,000376/511 -दुष्कर्म व दुष्कर्म का प्रयास-10 वर्ष -10,000201 - साक्ष्य मिटाना - सात वर्ष - 5,000
कोली को कब-कब हुई फांसी की सजा
13 फरवरी- 2009 - मृत्युदंड
28 अक्टूबर-2010 - मृत्युदंड
12 मई -२०१० - मृत्युदंड
22 दिसंबर 2010 - मृत्युदंड
24 दिसंबर 2012 - मृत्युदंड
08 अक्टूबर 2016- मृत्युदंड
16 दिसंबर 2016 -मृत्युदंड
24 जुलाई 2017 - मृत्युदंड
(पंधेर को दूसरी बार फांसी)
पंधेर को कब-कब हुई फांसी की सजा
13 फरवरी- 2009 - मृत्युदंड
24 जुलाई 2017 - मृत्युदंड
अधिकांश मामलों में अपहरण के बाद हत्या, दुष्कर्म व दुष्कर्म का प्रयास और साक्ष्य मिटाने की धाराओं में सजा हुई है।