पंचायत ने बदल दी सरकारी स्कूलों की तकदीर
सिरसा जिले के डबवाली प्रखंड में स्थित इस गांव में दो-तीन साल पहले तक बारहवीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम औसत रहता था। परीक्षा देने वाले करीब आधे विद्यार्थी फेल हो जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है।
डबवाली (ब्युरो)। पंचायत किस तरह किसी विद्यालय की तकदीर बदल सकती है, देखना है तो चले आइए कालुआना। सिरसा जिले के डबवाली प्रखंड में स्थित इस गांव में दो-तीन साल पहले तक बारहवीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम औसत रहता था। परीक्षा देने वाले करीब आधे विद्यार्थी फेल हो जाते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस बार की बोर्ड परीक्षा में यहां के 86 फीसद बच्चे सफल हुए हैं जिनमें 30 मेरिट में आए हैं। प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण विद्यार्थियों की संख्या 99 है। कभी अंग्रेजी व गणित के नाम से डरने वाले यहां के बच्चों को अब इनका भूत नहीं डराता। इस बदलाव का श्रेय जाता है गांव की आठवीं पास सरपंच गीता देवी सहारण को, जो खुद भले ही कम पढ़ी-लिखी हो, पर नई पीढ़ी को योग्य बनाने के लिए जी-जान से लगी हुई हैं।
गीता देवी के प्रयास से पिछले तीन सालों के मुकाबले इस साल 12वीं के रिजल्ट में करीब 25 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। तीन साल पहले जहां 55 से 60 फीसद रिजल्ट आता था, अब सफलता की दर 86 फीसद तक जा पहुंची है। आठवीं पास सरपंच पढ़ाई के मामले में इतनी संवेदनशील हैं कि रेगुलर स्कूल का राउंड लगाती हैं। विद्यार्थियों के साथ-साथ अध्यापकों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं जानती हैं, उन्हें दूर करने का प्रयास करती हैं। इसका परिणाम यह कि जहां 2015-16 में कालुआना के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का 12वीं का रिजल्ट करीब 70 फीसद था। वहीं अब बढ़कर 86 फीसद हो गया है। 2016 में गीता देवी ने पंचायत की कमान संभालते ही विद्यालय भ्रमण शुरू किया तो कमजोरियां सामने आने लगीं और उनका समाधान भी होने लगा।
सफलता का सूत्र : छुट्टी के दिन एक्सट्रा क्लास सरपंच को पता चला कि इस स्कूल के विद्यार्थी अंग्रेजी में बहुत कमजोर हैं। रिजल्ट भी अंग्रेजी के कारण ही खराब हो रहा है। फिर तो सरपंच ने इसे अपनी प्राथमिकता सूची में शामिल कर ली। पंचायत की ओर से अंग्रेजी के लेक्चरर लगाए गए और उनको स्थिति में बदलाव लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। असर यह हुआ कि लेक्चरर छुट्टी के दिन एक्सट्रा क्लास लगाने लगे। यहीं नहीं 11वीं या 12वीं का कोई पीरियड खाली होता तो खुद क्लास लेने बैठ जाते। कमजोर बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। सरपंच भी लगातार निगाह रखती। हर हफ्ते बच्चों तथा अध्यापकों से पढ़ाई की फीडबैक लेतीं। लड़कियों से बातचीत करके उनकी परेशानी जानती। इसका फायदा यह हुआ कि अंग्रेजी में 2015-16 में जहां सबसे खराब रिजल्ट था, वहीं 2016-17 में अंग्रेजी यहां के विद्यार्थियों का मजबूत पक्ष बन गया।
-बारहवीं की परीक्षा में यहां के 86 फीसद बच्चे हुए सफल, जिन विषयों के शिक्षक नहीं थे, उनकी पंचायत ने कराई व्यवस्था
-मेरिट में आए 30 स्टूडेंटस, 99 प्रथम श्रेणी से पास हुए, छुट्टियों में एक्सट्रा क्लास लगाकर बच्चों को दिया अंग्रेजी का ज्ञान
डबवाली के सात सरकारी स्कूलों का रिजल्ट इससे कम है। संबंधित स्कूलों से इसका कारण पूछा जाएगा। जो भी कारण सामने आएगा, उसे दूर किया जाएगा। ताकि भविष्य में बेहतर परिणाम मिल सकें। गांव कालुआना के सरकारी स्कूल पंचायत के सहयोग से मिले अध्यापकों के बल पर बेहतर परिणाम लेकर आए हैं। जो दूसरे स्कूलों के लिए आदर्श हैं। -बलजिंद्र सिंह भंगू, बीईओ, डबवाली
स्कूल में अंग्रेजी की चार पोस्ट हैं, चारों खाली हैं। पंचायत ने पार्ट टाइम टीचर दे रखा है जिससे व्यवस्था सुधर रही है। इस बार रिजल्ट बेहतर आया है। इसके अलावा मैथ का लेक्चरर भी दिया है। जिसके कारण पिछले तीन सालों में साइंस का रिजल्ट 100 फीसद आ रहा है। -राजेंद्र जाखड़, प्रिंसिपल, राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, कालुआना।
कम पढ़ी-लिखी होने के कारण शिक्षा की अहमियत समझती हूं। पंचायत ने हमें बेहतरी की उम्मीद से चुना है और उनकी सेवा करना हमारा दायित्व है। दोनों ही स्कूलों के प्राचार्य जो सहयोग मांगते हैं, उनको दिया जाता है।
-गीता देवी सहारण, सरपंच कालुआना।
-डीडी गोयल
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