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पाकिस्तान ने सेना प्रमुख के करीबी को बनाया आइएसआइ चीफ

पाकिस्तान ने आइएसआइ के नए चीफ की नियुक्ति की है। सैन्य प्रमुख जनरल राहिल शरीफ के करीबी लेफ्टिनेंट जनरल रिजवान अख्तर को पाकिस्तान की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी का चीफ बनाया गया है।

By Edited By: Published: Mon, 22 Sep 2014 06:07 PM (IST)Updated: Mon, 22 Sep 2014 07:26 PM (IST)
पाकिस्तान ने सेना प्रमुख के करीबी को बनाया आइएसआइ चीफ

इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने आइएसआइ के नए चीफ की नियुक्ति की है। सैन्य प्रमुख जनरल राहिल शरीफ के करीबी लेफ्टिनेंट जनरल रिजवान अख्तर को पाकिस्तान की शक्तिशाली खुफिया एजेंसी का चीफ बनाया गया है।

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लेफ्टिनेंट जनरल अख्तर को थ्री स्टार जनरल के तौर पर प्रोन्नत किया गया और इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस का महानिदेशक नियुक्त किया गया। सेना के प्रवक्ता असीम बाजवा ने ट्वीट के जरिए यह जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि मेजर जनरल रिजवान अख्तर, हिलाल हुसैन, घयूर महमूद, नजीर बट, नवीद मुख्तार, हिदायत उर रहमान को प्रोन्नत किया गया है। आगे उन्होंने बताया कि अख्तर को आइएसआइ का महानिदेशक, हिदायत को पेशावर कॉ‌र्प्स कमांडर, मुख्तार को कराची कॉ‌र्प्स कमांडर, हुसैन को मंगला कॉ‌र्प्स कमाडंर, महमूद को गुजरानवाला कॉ‌र्प्स कमांडर और बट को जीएचक्यू में संवाद एवं सूचना तकनीक का प्रमुख बनाया गया है। अख्तार एक अक्टूबर को वर्तमान आइएसआइ प्रमुख जहीरुल इस्लाम की सेवानिवृत्ति के बाद पद ग्रहण करेंगे।

क्या है प्रक्रिया

तकनीकी और कानूनी तौर पर सैन्य प्रमुख की सिफारिश पर प्रधानमंत्री आइएसआइ प्रमुख की नियुक्ति करते हैं। हालांकि यह पूरी तरह से सैन्य प्रमुख की इच्छा पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर सैन्य प्रमुख प्रधानमंत्री के पास नाम भेजते हैं और उन्हें उसे स्वीकार करना होता है।

क्या हैं राजनीतिक निहितार्थ

यह नियुक्ति सेना में अहम बदलाव के तौर हुई है। अख्तर की नियुक्ति से सैन्य प्रमुख राहिल शरीफ के लिए देश में व्याप्त राजनीतिक अस्थिरता के बीच अपनी ताकत को संगठित करने में सहायता मिलेगी। शुरुआती दौर में मेजर जनरल नवीद मुख्तार भी इस पद की दौड़ में शामिल थे।

कौन हैं रिजवान अख्तर

अख्तर इससे पहले सिंध में अर्धसैनिक रेंजर्स फोर्स के प्रमुख रह चुके है। पिछले साल उनके मार्गदर्शन में माफिया संगठनों और तालिबान के खिलाफ कराची में एक बड़ा अभियान चलाया गया था। साल 2007 से 2010 के दौरान अख्तर को अफगानिस्तान सीमा से लगे दक्षिण वजीरिस्तान में तैनात किया गया था जिसे तालिबान का गढ़ माना जाता है।

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