देश के ही दो जासूस ISI को दो लाख रुपये में बेचतेे थेे गोपनीय दस्तावेज
देश में ही दो जासूस पाकिस्तान खुफिया एजेंसी को भारत के गोपनीय दस्तावेज बेचते थे। इसमें खाकर रक्षा से जुड़े दस्तावेज थे। इसके बदलेे में जासूस दो लाख रुपये लेते थे।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली पुलिस ने पाकिस्तानी उच्चायोग के एक अफसर को गोपनीय दस्तावेजों के साथ हिरासत में लेकर पूछताछ के बाद रिहा कर दिया है। वहीं, इस मामले में गिरफ्तार दो पाकिस्तानी जासूसों से पूछताछ में कई सनसनीखेज राज सामने आए हैं। पुलिस ने दोनों जासूसों को दो दिनों के लिए रिमांड पर ले लिया है।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने वाले महमूद अख्तर ने भारतीय खुफिया एजेंसियों से बचने के लिए पूरे इंतजाम कर रखे थे। यहां तक कि उसने अपने नाम का आधार कार्ड भी बनवा लिया था। इस आधार कार्ड में उसने अपना नाम मेहमूद राजपूत लिखवाया था।
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जानकारी के मुताबिक इससे पहले IB को खुफिया सूचना मिली थी कि पाकिस्तानी उच्चायोग के अफसर महमूद अख्तर के पास भारत के गोपनीय दस्तावेज हैं। इसके बाद आईबी ने दिल्ली पुलिस को सूचित किया।पुलिस ने अख्तर को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इसके बाद दो पाक जासूसों रमजान और जहांगीर को गिरफ्तार किया गया।
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हालांकि, अब महमूद अख्तर को देश छोड़ने का आदेश जारी किया गया है। दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट सीपी रविंद्र यादव ने बताया कि रमजान और सुभाष को पाकिस्तानी उच्चायोग को खुफिया जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। दोनों राजस्थान के नागौर के रहने वाले हैं। यह रैकेट एक साल से सक्रिय था। इनके पास से डिफेंस से जुड़े मैप, बीएसफ अधिकारियों की लिस्ट और कई वीजा बरामद हुआ है।
पुलिस की मानें तो सुभाष जांगिड़ की नागौर की गांधी चौक स्थित कुरैशियों की मस्जिद के पास दुकान है। इसी मस्जिद में मौलाना तालीम देने और धार्मिक शिक्षा देने का काम करता था। मौलाना अच्छी तरह जानता था कि सुभाष के पास पैसों का अभाव है।
वह अपना परिवार पाल नहीं पा रहा। इसी का फायदा उठाते हुए उसने सुभाष को अपने चंगुल में फंसाया। मौलाना ने सुभाष को कभी नहीं बताया कि वह पाक के लिए जासूसी कर रहा है। कहा तो यह जा रहा है कि पाक खुफिया एजेंसी जासूसी के लिए लोगों को 2 हजार रुपये से लेकर दो लाख तक का ऑफर देती थी।