पाक ने माना: हिरासत में है अजहर मसूद
पाकिस्तानी पंजाब के काननू मंत्री ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख और पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड को पूछताछ के लिए 'एहतियातन हिरासत' में लिये जाने की पुष्टि कर दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एयरइंडिया विमान अपरहण के बदले में जेल से हुआ आतंकी सरगना अजहर मसूद पहली बार हिरासत में है। पाकिस्तानी पंजाब के काननू मंत्री ने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख और पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड को पूछताछ के लिए 'एहतियातन हिरासत' में लिये जाने की पुष्टि कर दी है। मसूद जैसे आतंकी सरगना को हिरासत में लिए जाने को पाकिस्तान में बड़े सकारात्मक बदलाव का संकेत माना जा रहा है। यही कारण है कि भारत में पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ वैसी प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, जैसे संसद या मुंबई हमले के बाद दिखाई गई थी।
गुरूवार को अजहर मसूद की गिरफ्तारी की पुष्टि से पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के इनकार के बाद शुक्रवार को उसके पंजाब प्रांत के कानून मंत्री राणा सनाउल्लाह ने पूछताछ के लिए हिरासत में रखने की बात स्वीकार की। लेकिन साथ ही यह भी साफ कर दिया कि फिलहाल उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। सनाउल्लाह का कहना था कि पठानकोट हमले में संलिप्तता के ठोस सबूत मिलने के बाद गिरफ्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल मसूद अजहर पंजाब पुलिस के आतंकवाद निरोधक विभाग के एहतियातन हिरासत में है।
अफगान तालिबान के करीबी अजहर मसूद को हिरासत में लिए जाने को भारतीय एजेंसियां पाकिस्तान में बड़े बदलाव के संकेत के रूप में देख रही है। विमान अपहरण के बाद 31 दिसंबर 1999 से रिहा होने के बाद से उसे कभी गिरफ्तार नहीं किया गया था। भारतीय संसद पर हमले के बाद भी उसे एक साल तक घर में नजरबंद रखा गया था। यहां तक कि तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर दो बार आत्मघाती हमले में जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता के सबूत मिलने के बाद भी आतंकी संगठन को तो प्रतिबंधित कर दिया गया, लेकिन अजहर मसूद के खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत नहीं दिखाई गई। कश्मीर की जेल से रिहाई के 16 साल बाद पहली अजहर मसूद हिरासत में है। यही नहीं, नवाज शरीफ सरकार सबूत मिलने की स्थिति में उसकी गिरफ्तारी का भरोसा भी दे रही है। मसूद के साथ-साथ जैश-ए-मोहम्मद के लगभग दो दर्जन आतंकियों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है और उसके कई दफ्तरों को सील भी कर दिया गया है।
पठानकोट हमले की संवेदनशीलता को देखते हुए दोनों देश जांच के तथ्यों को सार्वजनिक करने से बच रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस बारे में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को भी जानकारी नहीं दी जा रही है। दोनों देशों के एनएसए आपस में बातचीत कर जांच के तथ्यों को शेयर कर रहे हैं। यही कारण है कि मीडिया में पाकिस्तान के मंसूबे के खिलाफ भले ही बढ़ा-चढ़ाकर लिखा और कहा जा रहा है, लेकिन सरकार को नवाज सरकार के वायदे पर भरोसा कायम है।