सरकार और विपक्ष की शह-मात में धुल सकता है शीत सत्र
नोटबंदी पर विपक्ष के तेवरों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस बार संसद का शीत सत्र पूरी तरह से धुल सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । नोटबंदी पर जारी सियासी संग्राम में शीत सत्र के पूरी तरह धुल जाने की आशंका बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सदन में लगातार मौजूदगी के बावजूद नोटबंदी पर राज्यसभा में बहस के सरकार के चर्चा के प्रस्ताव को ठुकरा कर विपक्ष ने संसद के टकराव को जारी रखने के इरादे फिर साफ कर दिए हैं।
संसद में टकराव टालने के विकल्पों पर विचार कर रही कांग्रेस को तृणमूल कांग्रेस प्रमुख पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नोटबंदी पर बेहद तीखे तेवरों के चलते फिलहाल अपने कदम खींचने पड़ रहे हैं।विपक्ष के इस रुख का संकेत साफ है कि शुक्रवार को भी संसद के चलने के आसार नहीं है। नोटबंदी से लोगों को हो रही दिक्कतों के बहाने दोनों सदनों में बहस के लिए अलग-अलग रणनीति अपना रहे विपक्ष की राज्यसभा में प्रधानमंत्री के बैठने की मांग को सरकार ने मान लिया।
सरकार ने टकराव खत्म करने में विपक्ष की रूचि नहीं होने की रणनीति को भांपते हुए गुरुवार को राज्यसभा में प्रधानमंत्री की हर पल मौजूदगी सुनिश्चित की। ताकि पीएम के बहस में मौजूद रहने की विपक्ष की मांग मान लेने का संदेश जाए। मगर सदन में पीएम की मौजूदगी देख राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने कालेधन को लेकर विपक्षी नेताओं पर टिप्पणी पर प्रधानमंत्री से माफी की मांग के मुद्दे को उछाल सदन चलने की गुंजाइश बंद कर दी।
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विपक्षी खेमे के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री के बहस में मौजूद रहने के मद्देनजर कांग्रेस गतिरोध खत्म करने पर सकारात्मक थी। मगर बुधवार रात कोलकाता में अपने विमान की लैंडिग में आधा घंटा विलंब होने के बाद पहले से ही नोटबंदी पर तल्ख ममता बनर्जी का रुख बेहद कड़ा हो गया। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने अपनी पार्टी के सांसदों के साथ कांग्रेस के संसदीय रणनीतिकारों को साफ संदेश रात में ही भेज दिया कि वे नोटबंदी के गतिरोध को तत्काल खत्म करने के पक्ष में नहीं है। ममता बनर्जी और वामपंथी दो विपरीत ध्रुवों को केन्द्र में विपक्ष के खेमे में लाने में कामयाब रही कांग्रेस जाहिर तौर पर दीदी को अभी नाराज करने जैसा कोई कदम नहीं उठाएगी। राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाब नबी आजाद और टीएमसी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने सदन में एक सुर में बोल दोनों पार्टियों के एकमत होने का संदेश दिया।
विपक्ष की रणनीति
सरकार ने भी विपक्ष के इन इरादों को सुबह सदन शुरू होने के बाद पहली बार हंगामे से हुए स्थगन के दौरान पढ़ लिया। शायद इसीलिए गुरूवार को राज्यसभा की हंगामे के बाद तीनों बार हुई बैठकों में पीएम सदन में आए और इसका फायदा उठाते हुए सरकार ने विपक्ष पर जवाबी हमला बोला। सूचना प्रसारण मंत्री वैंकैया नायडु ने यह हमला बोलते हुए कहा कि विपक्ष की मांग थी कि पीएम सदन में मौजूद रहें और जब वे हैं तो विपक्ष चर्चा छोड़कर भाग रहा है। माना जा रहा है कि सरकार विपक्षी एका में पड़ी दरार का फायदा उठाकर अब कांग्रेस पर दबाव बढ़ाएगी।
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