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आज से होगी खजाने की खुदाई

अठारह अक्टूबर (आज) से शुरू होने वाली डौंड़िया खेड़ा के राव किला परिसर में खुदाई के तरीके को लेकर संत शोभन सरकार और प्रशासन के बीच बृहस्पतिवार को घंटों चली खींचतान के बाद सहमति बन पाई। पूरे मामले को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपना प्रतिनिधि भेजना पड़ा। खुदाई के लिए भारतीय पुरात्

By Edited By: Published: Fri, 18 Oct 2013 03:56 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2013 04:14 AM (IST)

उन्नाव, जागरण संवाददाता। अठारह अक्टूबर से शुरू होने वाली डौंड़िया खेड़ा के राव किला परिसर में खुदाई के तरीके को लेकर संत शोभन सरकार और प्रशासन के बीच बृहस्पतिवार को घंटों चली खींचतान के बाद सहमति बन पाई। पूरे मामले को सुलझाने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपना प्रतिनिधि भेजना पड़ा। खुदाई के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) की टीम ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं और शुक्रवार सुबह पहली कुदाल चलेगी।

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बृहस्पतिवार को भारतीय पुरातत्व विभाग की खुदाई के ढंग और इसमें लंबा समय लगने की बात पर संत शोभन सरकार नाराज हो गए। शोभन सरकार चाहते थे कि सेना लगाकर दस घंटे में खुदाई कराकर सारा खजाना बाहर निकाल लिया जाए, जबकि पुरातत्व विभाग कुदाल, गैंती और फावड़ा आदि उपकरणों के भरोसे खुदाई की तैयारी में जुटा रहा।

मुख्यमंत्री का संकेत पाकर आए राज्यमंत्री सुनील सिंह यादव ने किले का निरीक्षण करने से पहले शोभन सरकार के आश्रम में उनसे मुलाकात की। शोभन सरकार ने नाराजगी जताई कि तकनीक के इस दौर में कुदाल, गैंती, फावड़े से खुदाई का कोई मतलब नहीं है। इसमें तो डेढ़ महीने से ज्यादा का समय लग जाएगा। सेना लगाकर दस घंटे में खुदाई कराई जाए, क्योंकि उसके बाद फतेहपुर के आदमपुर, कानपुर के बिठूर और परेड में खुदाई की जानी है। सारी दुनिया की नजरें लगी हुई हैं, इसलिए देर करना ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि ने उन्हें बताया कि पुरातत्व विभाग के लिए खुदाई से निकलने वाला सब कुछ धरोहर से कम नहीं है, इसलिए वह अपने ढंग से काम कर रहा है। इस वार्ता के दौरान संत के नजदीकी राजेंद्र तिवारी ने यहां तक कह दिया कि प्रशासन नहीं मानेगा तो शुक्रवार से वे जेसीबी लगवाकर खुदाई शुरू करा देंगे, क्योंकि जनमानस और अधिक इंतजार नहीं कर सकता। शाम को शोभन सरकार की पहल पर गतिरोध दूर हुआ और सरकार की इच्छानुसार कार्य होगा। शुरुआत में 30 गुणा 30 फुट के क्षेत्र में खुदाई होगी और इसके लिए परंपरागत औजारों फावड़े, कुदाल, गैंती आदि का इस्तेमाल होगा।

एएसआइ ने नहीं मांगी सुरक्षा

लखनऊ। उन्नाव के डौंड़िया खेड़ा में खजाने की खुदाई के दौरान सुरक्षा को लेकर अभी पुलिस मुख्यालय स्तर पर कोई पहल नहीं हुई है। आइजी आरके विश्वकर्मा ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) की मांग पर ही ऐसे आयोजनों में सुरक्षा दी जाती है और अभी तक एएसआइ ने सुरक्षा नहीं मांगी है। फिलहाल पुलिस अधीक्षक उन्नाव के स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो खजाने की खुदाई

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उन्नाव के डौड़िया खेड़ा में खजाने की खोज को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में खुदाई कराने की मांग की गई है।

अधिवक्ता एमएल शर्मा की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट एक टीम गठित करे, जिसकी निगरानी में खुदाई हो। साथ ही खुदाई के काम को नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए वहां सेना के अधिकारी तैनात किए जाएं। याचिका में डौंडि़या खेड़ा का इतिहास बताते हुए खजाना होने के बारे में मीडिया में आई खबरों का जिक्र किया गया है। साथ ही वर्ष 1974 की जयपुर की एक घटना का जिक्र किया गया है। जिसमें सड़क मार्ग से जयपुर से खजाना दिल्ली लाए जाने की बात कही गई है। ये ऑपरेशन 24 घंटे चला था लेकिन आज तक पता नहीं चला कि वह खजाना कहां गया।

याचिकाकर्ता का कहना है कि डौंडि़या खेड़ा से निकलने वाला 1000 टन सोने का खजाना बहुमूल्य है और उससे भारत की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। इसलिए उसकी सुरक्षा के इंतजाम बहुत जरूरी हैं। शर्मा का कहना है कि वे शुक्रवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट से इस याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध करेंगे क्योंकि शुक्रवार से ही खुदाई शुरू होने वाली है।

खजाने की पहरेदारी कर रहे गांव वाले

फतेहपुर, जागरण संवाददाता। आदमपुर गांव के ग्रामीण यहां धरती की गोद में छिपे खजाने की पहरेदारी में जुट गए हैं। रात-दिन पहरेदारी की जा रही है। रात में टार्च की रोशनी चमकती है, तो दिन में चरवाहों ने जिम्मेदारी संभाल रखी है।

बालू के रेत में छिपा खजाना तांत्रिक अथवा कोई अन्य उड़ा न ले जाए, इसके लिए प्रशासन ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। दूसरी ओर, ग्रामीण शोभन सरकार के दावे को झुठलाने वाले तांत्रिकों के प्रयासों पर पानी फेरने के लिए कमर कसे हुए हैं। रीवां नरेश के किले से लेकर आदमपुर घाट तक गांव वालों की पैनी नजर है। यहां भारी संख्या में आने वाले दोपहिया और चारपहिया वाहनों को ग्रामीण जांच के बाद ही जाने दे रहे हैं। खजाने की रक्षा के लिए गांव वालों ने अभेद सुरक्षा चक्र बना दिया है।

गांव के मुलायम सिंह परिहार, योगेंद्र सिंह भदौरिया, रामकृष्ण त्रिपाठी, प्रमोद कुमार, रमाकांत त्रिपाठी, पप्पू, रमेश, शिव राखन कहते हैं कि ग्रामीणों की शोभन सरकार में पूरी आस्था है। सुरक्षा को लेकर गांव वालों की तरफ से कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है। ग्रामीण बताते हैं कि कुछ दिन पूर्व ही रात में खुदाई किए जाने की बात सामने आई थी, उसी समय सैकड़ों ग्रामीण ब्रह्माशिला की ओर चल पड़े। तभी किसी गांव वाले ने फायर कर दिया। अब तो जब सारा मामला विश्व स्तर पर चर्चित हो चुका है। ऐसे में सुरक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है।

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